देशभर में वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में वक्फ अधिनियम, 1995 में हुए संशोधनों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में दायर कई याचिकाओं के बाद अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। केंद्र सरकार ने इन याचिकाओं को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है।
क्या है विवाद?
वक्फ अधिनियम के तहत देशभर में लाखों एकड़ जमीन वक्फ संपत्तियों के रूप में चिन्हित की गई हैं। मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए इनका उपयोग होता है। लेकिन, हालिया संशोधनों के बाद यह आरोप लगे हैं कि वक्फ बोर्ड को अत्यधिक अधिकार दिए गए हैं, जिनके चलते अन्य समुदायों की संपत्तियों पर भी दावा किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नए प्रावधानों से वक्फ बोर्ड को बिना किसी न्यायिक आदेश के किसी भी भूमि को ‘वक्फ संपत्ति’ घोषित करने की शक्ति मिल जाती है। इससे निजी और सार्वजनिक भूमि विवादों की आशंका बढ़ गई है।
केंद्र सरकार की दलील
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी याचिका में तर्क दिया है कि वक्फ अधिनियम का उद्देश्य समुदाय की कल्याणकारी संपत्तियों का संरक्षण और प्रबंधन है। सरकार ने यह भी कहा कि संशोधनों का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या होगा?
अब यह देखना अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर क्या रुख अपनाता है। अदालत को यह तय करना है कि क्या संशोधित वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेदों के अनुरूप है या नहीं। साथ ही, यह भी जांच का विषय होगा कि क्या इस कानून से धार्मिक समुदायों के बीच असंतुलन पैदा हो सकता है।
सामाजिक और राजनीतिक असर
यह मुद्दा केवल कानूनी दायरे में सीमित नहीं है, बल्कि इसके सामाजिक और राजनीतिक निहितार्थ भी गहरे हैं। विपक्षी दल पहले ही वक्फ कानून को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा चुके हैं, जबकि मुस्लिम संगठनों का कहना है कि कानून का उद्देश्य उनकी धार्मिक संपत्तियों की रक्षा करना है।