राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की आहट अब कांग्रेस पार्टी के भीतर भी सुनाई देने लगी है। वर्ष 2025 की शुरुआत से ही पार्टी के भीतर संगठनात्मक पुनर्गठन की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। कई दिग्गज नेताओं ने सार्वजनिक रूप से ऐसे संकेत दिए हैं जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस आने वाले दिनों में खुद को नए रूप में प्रस्तुत करने की तैयारी में है।
कमजोर प्रदर्शन के बाद आत्ममंथन
2024 के लोकसभा चुनावों में मिली निराशाजनक सफलता के बाद पार्टी लगातार आत्ममंथन के दौर से गुजर रही है। शीर्ष नेतृत्व, विशेष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, पार्टी को सक्रिय और जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए संगठनात्मक बदलावों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
वरिष्ठ नेताओं के बयान बने चर्चा का विषय
हाल के दिनों में अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने संगठन को “नए सांचे में ढालने” और “नई पीढ़ी को नेतृत्व देने” की बात कही है। उनके इन बयानों को पार्टी के भीतर संभावित बड़े फेरबदल के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
किन स्तरों पर हो सकते हैं बदलाव?
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकमान जल्द ही कई प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों को बदले जाने की घोषणा कर सकता है। साथ ही, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) में भी महासचिवों और प्रवक्ताओं के पदों पर नए चेहरों की नियुक्ति संभावित है।
इसके अलावा संगठन में युवाओं, महिलाओं और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व देने पर विशेष जोर रहेगा, ताकि पार्टी की जनसंपर्क और जमीनी पकड़ को फिर से मजबूत किया जा सके।
रणनीति और आगामी चुनाव
विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस यह संगठनात्मक बदलाव केवल आंतरिक सुधार के लिए नहीं, बल्कि 2025 के अंत में होने वाले कुछ अहम विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों की तैयारी के तहत कर रही है।