प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने अपने 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर सरकार ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि अब तक इस योजना के अंतर्गत ₹32 लाख करोड़ से अधिक के ऋण वितरित किए जा चुके हैं। खास बात यह रही कि इन लाभार्थियों में से लगभग 68% महिलाएं हैं, जिससे यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रही है।
स्वरोज़गार को मिला बढ़ावा
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का उद्देश्य स्वरोज़गार को प्रोत्साहित करना और छोटे उद्यमियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना रहा है। इस योजना के तहत शिशु, किशोर और तरुण नाम से तीन श्रेणियों में ऋण प्रदान किए जाते हैं, जिनकी अधिकतम सीमा ₹10 लाख तक होती है। यह लोन बिना किसी गारंटी के उपलब्ध कराया जाता है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग भी अपने व्यवसाय शुरू कर सके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान
मुद्रा योजना की 10वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री मोदी ने इसे "जनसामान्य के सपनों को हकीकत में बदलने वाली पहल" बताया। उन्होंने कहा कि यह योजना केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं रही, बल्कि करोड़ों नागरिकों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्रदान किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यह योजना विशेष रूप से महिलाओं, दलितों, पिछड़े वर्गों और युवाओं के लिए एक संबल बनी है।
महिला उद्यमिता को मिला संबल
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मुद्रा योजना से अब तक 40 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को फायदा हुआ है, जिनमें से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह दर्शाता है कि यह योजना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिला उद्यमिता को मजबूती प्रदान कर रही है। महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाकर सिलाई केंद्र, दुकान, डेयरी, ब्यूटी पार्लर जैसे छोटे व्यवसाय शुरू किए हैं।
सरकार का लक्ष्य है कि मुद्रा योजना को और अधिक व्यापक बनाकर देश में उद्यमिता की संस्कृति को प्रोत्साहित किया जाए। यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में भी एक अहम कड़ी मानी जा रही है।