चंडीगढ़, 12 अप्रैलः प्रसिद्ध समाज सेवक एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रीतिश गोयल ने बैसाखी के शुभ अवसर पर देश-विदेश में रह रहे सभी पंजाबियों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई दी है। अपने संदेश में श्री गोयल ने कहा कि बैसाखी एक बहुआयामी और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्व है, जो न केवल रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है, बल्कि किसानों के अथक परिश्रम, समर्पण और प्रकृति के प्रति आभार का उत्सव भी है। यह वह क्षण होता है जब खेतों में लहराती फसलें किसानों के चेहरों पर संतोष और उल्लास की मुस्कान ले आती हैं, और पूरा समाज उनकी मेहनत का जश्न मनाता है। उन्होंने इस खास दिन पर सिख इतिहास के बारे में जिक्र करते हुए कहा है कि यह दिन सिखों के लिए खासा महत्वपूर्ण है। 1699 में इसी दिन श्री आनंदपुर साहिब में सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ की स्थापना की थी। यह खालसा पंथ मुग़लों के अत्याचारों का डटकर मुकाबला करने और मानवीय तथा धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा हेतु स्थापित किया गया था। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना सम्पूर्ण परिवार बलिदान कर दिया। इसी दिन यानी 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में घटित हत्याकांड ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नया मोड़ ला दिया था। इस दिन अनेकों ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिससे स्वतंत्रता आंदोलन को नई गति मिली। समाज सेवक प्रीतिश गोयल ने अपील की कि सभी लोग जाति, पंथ, धर्म से ऊपर उठकर इस पर्व को सौहार्द, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकजुटता की भावना के साथ सामूहिक रूप से मनाएं।