चंडीगढ़, 16 अप्रैल:
पंजाब में नशे के खिलाफ छेड़े गए निर्णायक अभियान ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ के तहत राज्य पुलिस ने 47वें दिन भी अपना शिकंजा कसते हुए बड़ी कामयाबी हासिल की। सोमवार को की गई राज्यव्यापी कार्रवाई में 121 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके कब्जे से 4.7 किलोग्राम हेरोइन, 2.6 किलोग्राम अफीम, और 1.08 लाख रुपये की ड्रग मनी जब्त की गई है।
इस ऑपरेशन के साथ ही अब तक इस अभियान के दौरान कुल 6284 नशा तस्कर गिरफ्तार किए जा चुके हैं। यह राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा नशे के खिलाफ चलाए जा रहे एक समर्पित, सतत और व्यापक युद्ध का प्रमाण है।
राज्यव्यापी अभियान, सभी जिलों में एकसाथ कार्रवाई
यह coordinated ऑपरेशन पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव के दिशा-निर्देशन में राज्य के सभी 28 पुलिस जिलों में एकसाथ चलाया गया। इस मुहिम में 250 से अधिक पुलिस टीमों ने हिस्सा लिया, जिनमें 1900 से अधिक पुलिसकर्मी और 88 गजटिड अधिकारी शामिल रहे।
499 स्थानों पर की गई छापेमारी के दौरान 71 प्राथमिकी दर्ज की गईं, जबकि 554 संदिग्धों से पूछताछ भी की गई।
मुख्यमंत्री की सख्त नीति और राजनीतिक इच्छाशक्ति
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पंजाब को पूर्ण रूप से नशामुक्त राज्य बनाया जाए। इसके लिए उन्होंने पुलिस कमिश्नरों, डिप्टी कमिश्नरों और एसएसपी स्तर के अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं।
इसी नीति के तहत वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा की अगुवाई में एक 5 सदस्यीय कैबिनेट सब-कमेटी का गठन भी किया गया है, जो राज्य में नशा विरोधी अभियान की निगरानी कर रही है।
तीन-आयामी रणनीति: ईडीपी मॉडल
इस संबंध में जानकारी देते हुए विशेष डीजीपी (कानून-व्यवस्था) अर्पित शुक्ला ने बताया कि राज्य सरकार ने नशे के उन्मूलन के लिए तीन स्तरीय रणनीति – इन्फोर्समेंट, डी-एडिक्शन और प्रिवेंशन (EDP) – अपनाई है।
इसी रणनीति के तहत पंजाब पुलिस ने आज के दिन 7 नशा पीड़ितों को डि-एडिक्शन और पुनर्वास केंद्रों तक पहुँचाने में मदद की, जिससे उनका जीवन पुनः सामान्य धारा में लौट सके।
आंकड़ों में नशा विरोधी मुहिम की ताकत
पंजाब पुलिस की सख्त कार्रवाई बनी उदाहरण
राज्यभर में हो रही सघन कार्रवाई से स्पष्ट है कि पंजाब पुलिस नशा तस्करों के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस नीति” पर अमल कर रही है। खास बात यह है कि यह ऑपरेशन न केवल तस्करों की गिरफ्तारी तक सीमित है, बल्कि पुनर्वास और सामाजिक पुनर्स्थापन के प्रयास भी इसके साथ जोड़े गए हैं।
विशेष डीजीपी ने यह भी दोहराया कि पुलिस की प्राथमिकता केवल पकड़-धकड़ नहीं, बल्कि नशा मुक्त समाज की स्थायी संरचना खड़ी करना है, जिसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है।
नशे के खिलाफ जनजागृति भी अभियान का अहम हिस्सा
राज्य सरकार ने नशे के उन्मूलन के साथ-साथ इसके कारणों, प्रभावों और उपायों को लेकर जनजागरूकता अभियान भी तेज कर दिया है। स्कूलों, कॉलेजों, ग्रामीण क्षेत्रों और औद्योगिक क्षेत्रों में साक्षरता शिविर, रैलियाँ और संवाद सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।