चंडीगढ़, 6 मई
पंजाब सरकार सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने राज्य के सहकारी बैंकों के डिफाल्टर खाताधारकों से ऋण की वसूली प्रक्रिया में तेजी लाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि फसली ऋण और अन्य कृषि वित्त योजनाओं के प्रभावी संचालन के लिए यह आवश्यक है कि डिफाल्टरों से समय पर वसूली की जाए।
मुख्यमंत्री मान ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि डिफाल्टर खाताधारक, खासकर बड़े किसान और सरकारी कर्मचारी, सहकारी बैंकिंग प्रणाली की प्रगति में बाधा बन रहे हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि छोटे और मध्यम किसान समय पर ऋण लौटाते हैं, लेकिन बड़े किसान अक्सर चूक करते हैं।
सरकारी कर्मचारी डिफाल्टर: तुरंत चुकाएं बकाया
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जो सरकारी मुलाजिम सहकारी बैंकों के डिफाल्टर हैं, उन्हें तत्काल अपने बकाया का भुगतान करना चाहिए। उन्होंने सहकारिता विभाग को आदेश दिए कि वसूली के लिए कानूनी और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर ठोस प्रक्रिया अपनाई जाए ताकि बैंकों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके।
सिर्फ 65% वसूली पर जताई चिंता
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने चिंता जताई कि सहकारी बैंकों की फसली ऋण वसूली दर केवल 65 प्रतिशत है, जो कि बेहद कम है और पूरे सहकारी बैंकिंग ढांचे को कमजोर करता है। उन्होंने कहा कि समय पर ऋण वापसी करने वाले किसानों को ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट मिलती है, जबकि डिफाल्टरों को 2.5 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज देना पड़ता है।
मुख्य तथ्य:
-
7 प्रतिशत ब्याज दर पर फसली ऋण उपलब्ध
-
समय पर चुकौती पर 3% की छूट
-
देरी पर ब्याज बढ़कर 9.5 प्रतिशत तक पहुंचता है
हर साल 8000 करोड़ का फसली ऋण
जानकारी दी गई कि पंजाब की 3523 प्राथमिक कृषि सहकारी सभाएं (PACS) हर वर्ष लगभग 8000 करोड़ रुपये का फसली ऋण किसानों को उपलब्ध कराती हैं। यह ऋण केवल 7 प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जाता है। लेकिन समय पर ऋण वापसी न होने की स्थिति में किसान इस सुविधा से वंचित हो जाते हैं और भविष्य में ऋण लेने की पात्रता भी खो बैठते हैं।
उत्कृष्ट PACS को मिलेगा सम्मान
मुख्यमंत्री ने वसूली में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली प्राथमिक सहकारी सभाओं को सम्मानित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ऐसी PACS को रोल मॉडल के रूप में सामने लाना चाहिए। विशेष रूप से धूरी सर्कल, जहां ऋण वसूली दर 99 प्रतिशत है, को आदर्श मानते हुए मुख्यमंत्री ने एक विशेष समारोह आयोजित करने के निर्देश दिए।
नाबार्ड की ऋण सीमा में कटौती पर आपत्ति
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नाबार्ड द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए रियायती पुनर्वित्त ऋण सीमा में की गई कटौती पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पंजाब देश की खाद्य सुरक्षा में अग्रणी भूमिका निभाता है और इस तरह की कटौती से कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक असर पड़ता है। उन्होंने भरोसा जताया कि वह यह मुद्दा नाबार्ड के चेयरमैन के समक्ष उठाएंगे और 2025-26 के लिए पुन: ₹3000 करोड़ की ऋण सीमा बहाल करने की मांग करेंगे।
सहकारी बैंकों में प्रशासनिक संरचना में सुधार
मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों में प्रबंध निदेशक (MD) और जिला मैनेजर (DM) की दोहरी जिम्मेदारी की व्यवस्था को समाप्त करने की मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि बैंक संचालन की जिम्मेदारी एक ही अधिकारी के पास होनी चाहिए ताकि कामकाज प्रभावशाली बने और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
उच्चाधिकारियों की बैठक में चर्चा
बैठक में पंजाब सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा, पंजाब राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के चेयरमैन जगदेव सिंह बाम, वित्त कमिश्नर सहकारिता आलोक शेखर, वित्त सचिव कृष्ण कुमार, खाद्य एवं आपूर्ति सचिव राहुल तिवारी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रवि भगत, विशेष प्रमुख सचिव कुमार अमित, रजिस्ट्रार विमल कुमार सेतिया, और एमडी हरजीत सिंह संधू प्रमुख रूप से शामिल थे।