वर्ष 2023-24 के दौरान, जीवीए के प्रथम संशोधित अनुमानों के अनुसार वर्ष 2011-12 की आधार कीमतों पर कृषि क्षेत्र का जीवीए 23,67,287 करोड़ रुपये अनुमानित है, जिसमें 2.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और वर्ष 2024-25 के दौरान, कृषि क्षेत्र का जीवीए 24,76,805 करोड़ रुपये अनुमानित है, जिसमें वर्ष 2011-12 की आधार कीमतों पर जीवीए के अनंतिम अनुमानों के अनुसार 4.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2024-25 के दौरान देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 3577.32 लाख टन अनुमानित है, जो वर्ष 2023-24 के दौरान प्राप्त 3322.98 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 7.65% अर्थात 254.34 लाख मीट्रिक टन अधिक है।
इसके अतिरिक्त, बीज, मजदूरी, कीटनाशकों और उर्वरकों की बढ़ती इनपुट लागत से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे किसानों की सहायता के लिए, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है, जिसका विवरण अनुबंध में दिया गया है। बाजार पहुँच में सुधार के लिए, सरकार राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को कार्यान्वित कर रही है, जिसका उद्देश्य किसानों और व्यापारियों के लिए अवसरों को बढ़ाना है ताकि उन्हें संपूर्ण भारत के बाजारों को जोड़ने वाले एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक पहुँच प्रदान की जा सके।
राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (एनएपीसीसी) के अंतर्गत, राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन, सरकार द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारतीय कृषि को बदलती जलवायु के प्रति अधिक अनुकूल बनाने हेतु कार्यनीतियाँ विकसित और कार्यान्वित करना है।
इसके अतिरिक्त, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) उच्च उपज देने वाली, जलवायु अनुकूल और पोषण से भरपूर, क्षेत्रीय फसलों की किस्मों के विकास के साथ-साथ क्षेत्र-विशिष्ट उत्पादन और संरक्षण तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। विकसित उन्नत किस्मों, उत्पादन और संरक्षण तकनीकों को फसल मौसम के दौरान प्रशिक्षण/संवेदीकरण कार्यक्रम, कृषि परीक्षण और फ्रंटलाइन प्रदर्शन, निदान क्षेत्र दौरों और खेत मित्र कार्यक्रम, साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे विभिन्न आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों के बीच व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रचारित किया जा रहा है।
पीएम-किसान योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री ने फरवरी 2019 में कृषि योग्य भूमि वाले किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया था। इस योजना के तहत, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष ₹ 6,000/- का वित्तीय लाभ अंतरित किया जाता है। पीएम-किसान योजना के तहत, उच्च आय की स्थिति से संबंधित कुछ निश्चित बहिष्करणों के अधीन, योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए कृषि योग्य भूमि प्राथमिक पात्रता मानदंड है।
पारदर्शिता और कुशल कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, पीएफएमएस, यूआईडीएआई और आयकर विभाग के साथ एकीकरण सहित कई तकनीकी उपाय शुरू किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, केवल पात्र किसानों तक लाभ सुनिश्चित करने के लिए भूमि सीडिंग, आधार-आधारित भुगतान और ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, कवरेज का विस्तार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र किसान योजना से वंचित न रहे, भारत सरकार प्राय: राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में सैचुरेशन अभियान आयोजित करती है। 15 नवंबर 2023 से विकसित भारत संकल्प यात्रा (वीबीएसवाई) के तहत एक व्यापक राष्ट्रव्यापी सैचुरेशन अभियान आयोजित किया गया, जिसके दौरान 1.0 करोड़ से अधिक किसानों को पीएम-किसान के अंतर्गत शामिल किया गया। इसके अलावा, नई सरकार की 100 दिनों की पहल के तहत, पीएम-किसान योजना के तहत 25 लाख से अधिक पात्र किसानों को शामिल किया गया। इसके अतिरिक्त, लंबित स्व-पंजीकरण मामलों को निपटाने के लिए सितंबर 2024 में एक विशेष अभियान आयोजित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 30 लाख से अधिक नए किसानों को शामिल किया गया।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग वर्ष 2015-16 से देश में केंद्र प्रायोजित योजना प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) का कार्यान्वयन कर रहा है। पीडीएमसी सूक्ष्म सिंचाई अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता (डब्ल्यूयूई) बढ़ाने पर केंद्रित है। वर्ष 2015-16 से 2021-22 तक, पीडीएमसी को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के एक घटक के रूप में कार्यान्वित किया गया था। वर्ष 2022-23 से, पीडीएमसी को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अंतर्गत कार्यान्वित किया जा रहा है। पीडीएमसी के अंतर्गत, सरकार ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणालियों की स्थापना के लिए छोटे और सीमांत किसानों को 55% और अन्य किसानों को 45% की दर से वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई), के एक उप-योजना के रूप में कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन के आधुनिकीकरण (एम-सीएडीडब्ल्यूएम) को अनुमोदित किया है जो जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दिनांक 09.04.2025 से कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य एक निर्दिष्ट क्लस्टर में मौजूदा वितरण नहरों या अन्य जल स्रोतों से सिंचाई जल की आपूर्ति के लिए सिंचाई जल आपूर्ति नेटवर्क का आधुनिकीकरण करना है। इसकी परिकल्पना स्थापित जल स्रोतों से लेकर फार्म गेट तक (लगभग 1 हेक्टेयर तक) सूक्ष्म सिंचाई का समर्थन करने वाले बैक-एंड इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की सुविधा के लिए की गई है। इस योजना में दबावयुक्त पाइप सिंचाई नेटवर्क प्रदान करके और किसानों को जल के कुशल उपयोग के लिए ड्रिप/स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके 'ऑन फार्म वाटर यूज एफिशिएंसी (डब्ल्यूयूई)' को बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।
भारत सरकार उत्पादकता और संसाधन दक्षता में सुधार के लिए प्रीसीजन फार्मिंग, उपग्रह-आधारित फसल निगरानी और एआई-संचालित परामर्शिका को बढ़ावा देने हेतु डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) को लागू कर रही है। यह मिशन कृषि के लिए एक मजबूत डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रकचर (डीपीआई) तैयार करने पर केंद्रित है, जिसमें एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली और व्यापक सॉइल प्रोफ़ाइल मैपिंग शामिल हैं। एग्रीस्टैक में किसानों की रजिस्ट्री, जियो-रेफेरेंस्ड विलेज मैप और फसल बुआई रजिस्ट्री जैसे आधारभूत डेटाबेस शामिल हैं, जो किसानों को समय पर और विश्वसनीय फसल संबंधी जानकारी प्रदान करने में सहायता करते हैं। महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एमएनसीएफसी) फसल परियोजना के तहत उपग्रह-आधारित फसल पूर्वानुमान, सूखे की निगरानी और यस-टेक और डिजिटल फसल कटाई प्रयोगों के माध्यम से पीएमएफबीवाई को तकनीकी सहायता प्रदान करके मिशन का समर्थन करता है। सरकार व्यक्ति विशिष्ट सलाह और बेहतर कृषि प्रबंधन के लिए एआई और आईओटी-आधारित समाधानों को भी बढ़ावा दे रही है। प्रमुख पहलों में किसानों के प्रश्नों के लिए एआई-संचालित किसान ई-मित्र चैटबॉट और राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली शामिल हैं, जो कीटों के संक्रमण का पता लगाने और फसल हानि को कम करने के लिए एआई/एमएल उपकरणों का उपयोग करती है।
सरकार "10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन" के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना कार्यान्वित कर रही है। इस योजना के तहत, देश भर में 10,000 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं। इस योजना के तहत, प्रत्येक एफपीओ को 3 वर्षों में 18 लाख रुपये की एफपीओ प्रबंधन लागत उपलब्ध है। प्रत्येक एफपीओ 15 लाख रुपये तक का मैचिंग इक्विटी अनुदान भी प्राप्त कर सकते हैं (प्रति किसान 2000 रुपये के अंशदान के स्थान पर)। इसके अतिरिक्त, इस योजना में पात्र ऋणदाता संस्थानों से 2 करोड़ रुपये तक की ऋण गारंटी सुविधा भी प्रदान की जाती है।
अनुबंध
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की प्रमुख योजनाएं/कार्यक्रम
1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)
2. प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना (पीएम-के.एम. वाई.)
3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.)/ पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आर.डब्ल्यू.बी.सी.आई.एस.)
4. संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एम.आई.एस.एस.)
5. एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (ए.आई.एफ.)
6. 10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) का गठन और संवर्धन
7. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एन.बी.एच.एम.)
8. नमो ड्रोन दीदी
9. राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (एन.एम.एन.एफ.)
10. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)
11. स्टार्ट-अप और ग्रामीण उद्यमों के लिए एग्री फंड (एग्रीश्योर)
12. प्रति बूंद अधिक फसल (पी.डी.एम.सी.)
13. कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (एस.एम.ए.एम.)
14. परम्परागत कृषि विकास योजना (पी.के.वी.वाई.)
15. सॉइल हेल्थ एंड फर्टिलिटी (एस.एच. एंड एफ.)
16. वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास (आर.ए.डी.)
17. कृषि वानिकी
18. फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सी.डी.पी.)
19. कृषि विस्तार उप-मिशन (एस.एम.ए.ई.)
20. बीज एवं रोपण सामग्री उप-मिशन (एस.एम.एस.पी.)
21. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एन.एफ.एस.एन.एम.)
22. इंटीग्रेटेड स्कीम फ़ॉर एग्रीकल्चर मार्केटिंग (आई.एस.ए.एम.)
23. एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एम.आई.डी.एच.)
24. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एन.एम.ई.ओ.)- ऑयल पाम
25. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एन.एम.ई.ओ.)- तिलहन
26. पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन
27. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन
28. राष्ट्रीय बांस मिशन
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।