इंडिगो को यात्रियों को लगातार परेशान करने की सजा आखिरकार मिल गई है। डीजीसीए ने एयरलाइन पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसकी उड़ानों में 10% की अनिवार्य कटौती लागू कर दी है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब इंडिगो की देरी, बार-बार कैंसिलेशन और ग्राउंड स्टाफ की कमी जैसी समस्याएं यात्रियों की सबसे बड़ी शिकायत बन गई थीं। अब सवाल यह है कि उड़ानों में 10% की यह कटौती इंडिगो और यात्रियों—दोनों के लिए कितना बड़ा झटका साबित होगी?
एविएशन सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है और कुल घरेलू ट्रैफिक में उसकी हिस्सेदारी 55–60% तक रहती है। ऐसे में उड़ानों की संख्या में 10% की कटौती यात्रियों के लिए सीधे-सीधे सीटों की उपलब्धता कम होने जैसा है। इसका असर दो तरह से दिखेगा—पहला, कई रूटों पर टिकटों की कीमत बढ़ सकती है; दूसरा, वैकल्पिक उड़ानें कम होने से यात्रियों की परेशानी और बढ़ेगी।
डीजीसीए की जांच में पाया गया कि एयरलाइन लंबे समय से स्टाफिंग समस्याओं और शेड्यूल मैनेजमेंट में गंभीर लापरवाही बरत रही थी। इससे यात्रियों को घंटों एयरपोर्ट पर फंसे रहना पड़ता था, कई मामलों में यात्रियों को अचानक कैंसिलेशन की सूचना दी जाती थी। शिकायतों की बढ़ती संख्या और सोशल मीडिया पर वायरल हुई बदइंतजामी की घटनाओं ने नियामक को कड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
उद्योग जगत का मानना है कि यह कदम इंडिगो के लिए केवल संचालनात्मक झटका नहीं, बल्कि उसकी प्रतिष्ठा के लिए भी बड़ा धक्का है। उड़ान कटौती के कारण इंडिगो के राजस्व में भी गिरावट आ सकती है। प्रीमियम और व्यस्त मार्गों—जैसे दिल्ली-मुंबई, बेंगलुरु-हैदराबाद, और पुणे-दिल्ली—पर यात्रियों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
हालांकि, विशेषज्ञ इस कदम को सुरक्षा और यात्रियों की सुविधा के लिहाज से जरूरी बताते हैं। उनका कहना है कि जब तक इंडिगो अपने स्टाफ, सिस्टम और शेड्यूल मैनेजमेंट को दुरुस्त नहीं करती, तब तक उड़ानों की संख्या घटाकर ही परिचालन को सुरक्षित तरीके से संभाला जा सकता है।
इस कटौती से एक और बड़ा असर यह होगा कि इंडिगो पर बाजार में दबाव बढ़ेगा और प्रतिस्पर्धी एयरलाइंस को विस्तार का मौका मिलेगा। एयर इंडिया, विस्तारा और अक्षरा जैसी नई एयरलाइंस उन रूटों पर अपनी सेवाएं बढ़ा सकती हैं जहां इंडिगो की उड़ानें कम होंगी।
कुल मिलाकर, डीजीसीए की इस कार्रवाई ने इंडिगो को यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि यात्रियों की परेशानी को हल्के में लेने की अब कोई गुंजाइश नहीं है। 10% उड़ान कटौती भले ही छोटा आंकड़ा लगे, पर इसके दूरगामी प्रभाव इंडिगो और पूरे एविएशन सेक्टर को महसूस होंगे।