संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को एक ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने जा रहा है। ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दोनों सदनों में विशेष चर्चा आयोजित की गई है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जाएगी। सरकार ने इसे राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रीय एकता से जुड़े लंबे इतिहास को याद करने का अवसर बताया है।
‘वंदे मातरम’, जिसे बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में रचा था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक रहा है। यह गीत सिर्फ साहित्यिक कृति नहीं, बल्कि स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरणा का स्रोत भी रहा। इसकी 150वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद में होने वाली चर्चा को सरकार राष्ट्रीय गौरव के रूप में देख रही है। लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग दलों के नेता इस गीत की ऐतिहासिक भूमिका, वर्तमान परिप्रेक्ष्य और राष्ट्र की भावनाओं पर इसके प्रभाव को लेकर अपने विचार रखेंगे।
संसद के सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधन में ‘वंदे मातरम’ के महत्व, इसके सांस्कृतिक प्रभाव और स्वतंत्रता आंदोलन में इसके योगदान को रेखांकित करेंगे। इसके बाद विभिन्न दलों के सांसद अपनी-अपनी दृष्टि से चर्चा में हिस्सा लेंगे। उम्मीद है कि बहस में इतिहास, सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रवाद से जुड़े अनेक पहलू सामने आएंगे।
सत्र की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति ने सभी दलों से सहयोग की अपील की है। विपक्षी दलों ने भी इस विषय पर चर्चा का स्वागत किया है, हालांकि उन्होंने संकेत दिया है कि सरकार की नीतियों और हालिया मुद्दों पर भी अपनी बात मजबूती से रखेंगे।
इस बीच संसद परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। वर्षगांठ के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की ओर से विशेष प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है, जिसमें ‘वंदे मातरम’ की ऐतिहासिक पांडुलिपि, दुर्लभ दस्तावेज और उससे जुड़ी तस्वीरें प्रदर्शित होंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह चर्चा केवल एक गीत की वर्षगांठ भर नहीं, बल्कि आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पहचान पर व्यापक विमर्श की शुरुआत है। संसद का यह विशेष सत्र आने वाले राजनीतिक और सामाजिक स्वरूप पर भी असर डाल सकता है।
आज पूरे देश की नजर इस बात पर रहेगी कि प्रधानमंत्री अपने संबोधन में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्षों के महत्व को किस रूप में प्रस्तुत करते हैं और संसद इस ऐतिहासिक अवसर को किस तरह दर्ज करती है।