रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ने इस बार कई अहम और दिलचस्प राजनीतिक संकेत छोड़े। सबसे बड़ा आकर्षण रहा रूसी प्रतिनिधिमंडल का आकार, जिसे अब तक का सबसे बड़ा कैबिनेट स्तर का दल माना जा रहा है। ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक सहयोग से जुड़े शीर्ष मंत्री पुतिन के साथ भारत पहुंचे, जिससे यह साफ है कि दोनों देशों के बीच संबंध नई दिशा और नई गति पकड़ रहे हैं।
पुतिन की यात्रा का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू वह रात्रिभोज था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच एक विशेष, सीमित उपस्थितियों वाली मुलाकात हुई। इस अनौपचारिक लेकिन अत्यंत रणनीतिक चर्चा को लेकर कई तरह की राजनीतिक अटकलें सामने आई हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने वैश्विक सुरक्षा, यूक्रेन युद्ध, एशिया की बदलती भू-राजनीति, आतंकवाद पर सहयोग और पश्चिमी दबावों के बीच भारत-रूस साझेदारी की दिशा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की।
सूत्रों का दावा है कि यह मीटिंग निर्धारित एजेंडे से अलग हटकर गहन रणनीतिक मुद्दों पर केंद्रित थी। भारत, जो वर्तमान वैश्विक समीकरणों में संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है, रूस के साथ ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा सहयोग की निरंतरता सुनिश्चित करना चाहता है। दूसरी ओर, रूस भी एशिया में अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए भारत को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखता है।
रात्रिभोज के दौरान हुई ‘सीक्रेट मीटिंग’ ने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है। यह संकेत देती है कि दोनों नेताओं के बीच निजी स्तर पर भी भरोसा मजबूत हो रहा है, जो कूटनीति को और प्रभावी बनाता है। भारत-रूस संबंधों के इतिहास में इस तरह की वन-टू-वन चर्चाएं हमेशा निर्णायक रही हैं।
यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा निर्माण, परमाणु सहयोग और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने पर भी विशेष बातचीत हुई। भारत ने स्पष्ट किया कि वह कच्चे तेल की खरीद, रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन और आर्कटिक परियोजनाओं में सहयोग को और मजबूत करना चाहता है। वहीं रूस ने संकेत दिया कि वह भारत को एशियाई भू-रणनीतिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण स्तंभ मानता है।
पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हुई है जब दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। ऐसे माहौल में भारत और रूस की नजदीकी न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देगी, बल्कि वैश्विक शक्ति संरचना में भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। यह स्पष्ट है कि इस बार की यात्रा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक नए रणनीतिक अध्याय की शुरुआत है।