दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है। सर्दी की शुरुआत के साथ ही हवा का स्तर लगातार खराब होने लगा है और कई इलाकों में AQI “गंभीर” श्रेणी तक पहुंच गया है। मौसम विभाग और प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों के ताजा अनुमान बताते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे आम लोगों को सांस लेना और कठिन हो जाएगा।
राजधानी के प्रमुख इलाकों—आनंद विहार, पटपड़गंज, रोहिणी, द्वारका और आयानगर—में हवा की गुणवत्ता तेजी से गिर रही है। सुबह-शाम धुंध की मोटी परत दिख रही है, जो प्रदूषण और ठंडी हवाओं के मेल से बनी है। हवा की धीमी रफ्तार और तापमान में लगातार गिरावट प्रदूषक कणों को जमीन के आसपास रोक देती है, जिससे सांस संबंधी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर के शुरुआती सप्ताह हर साल प्रदूषण को चरम पर ले जाते हैं। खेतों में पराली जलाने की घटनाएं कुछ कम होने के बावजूद दिल्ली के भीतर वाहन धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल और कचरा जलाने जैसी गतिविधियां प्रदूषण का मुख्य स्रोत बनी हुई हैं। इस बार हवाओं का पैटर्न भी ऐसा है कि प्रदूषक दिल्ली-एनसीआर में फंसे हुए हैं और जल्द राहत की उम्मीद नहीं दिख रही।
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों तक बाहर रहने का समय कम किया जाए, खासकर सुबह और देर शाम जब प्रदूषण चरम पर होता है। दमा, एलर्जी, हृदय रोग और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। स्कूलों में भी छोटे बच्चों को बाहर खेलों से दूर रखने की हिदायत जारी की जा सकती है।
सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए निर्माण गतिविधियों पर निगरानी कड़ी करने, पानी का छिड़काव बढ़ाने और स्मॉग टावरों को अधिक सक्रिय करने जैसे कदम तेज किए हैं। वाहन प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई इलाकों में चेकिंग भी बढ़ाई गई है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक क्षेत्रीय स्तर पर हवा का प्रवाह नहीं बदलता, स्थिति में बड़े सुधार की उम्मीद कम है।
दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए फिलहाल मास्क पहनना, घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना और सुबह की सैर टालना ही बेहतर उपाय हैं। आने वाले दिनों में हवा और खराब हो सकती है, ऐसे में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।