अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा एक बड़े ट्रैवल बैन की तैयारी की खबर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल बढ़ा दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 30 से अधिक देशों की अमेरिका में एंट्री पर जल्द ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है। ट्रंप टीम इस सूची को अंतिम रूप देने में जुटी है और माना जा रहा है कि दिसंबर 2025 के दूसरे सप्ताह तक इसे आधिकारिक रूप से जारी किया जा सकता है। व्हाइट हाउस के सूत्रों का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, इमिग्रेशन नियंत्रण और वैश्विक अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए उठाया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि नई सूची में वे देश शामिल हो सकते हैं जहां से सुरक्षा एजेंसियों को लगातार संदिग्ध गतिविधियों, अवैध इमिग्रेशन या आतंकवादी नेटवर्क की बढ़ती गतिविधियों की चिंताएं रही हैं। यह भी संकेत मिल रहे हैं कि कुछ एशियाई, अफ्रीकी और मध्य-पूर्वी देशों को प्रतिबंध सूची में डालने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, अंतिम सूची जारी होने से पहले प्रशासन ने गुप्त समीक्षा प्रक्रिया तेज कर दी है और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
ट्रंप ने हाल ही में एक रैली में कहा था कि “अमेरिका में केवल उन्हीं लोगों की एंट्री होनी चाहिए जो देश की सुरक्षा और संस्कृति के लिए खतरा न बनें।” राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान आगामी नीति की ओर संकेत करता है और 2017 के पहले ट्रैवल बैन जैसा कठोर फैसला एक बार फिर देखने को मिल सकता है। कई विशेषज्ञ इसे चुनावी रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं, क्योंकि ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीति हमेशा ही उनके समर्थकों का प्रमुख मुद्दा रही है।
नया प्रस्तावित बैन पर्यटन, शिक्षा और व्यापारिक यात्राओं पर भी असर डाल सकता है। कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आशंका है कि प्रतिबंध लागू होने पर वीज़ा प्रक्रिया कठिन हो सकती है। वैश्विक कंपनियों ने भी चिंता जताई है कि इससे विदेशी टैलेंट की आवाजाही प्रभावित हो सकती है, जो अमेरिका की टेक और रिसर्च इंडस्ट्री के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
दूसरी ओर, ट्रंप समर्थकों का मानना है कि अनियंत्रित इमिग्रेशन अमेरिका की सामाजिक संरचना और रोजगार व्यवस्था पर दबाव डाल रहा है। उनके मुताबिक, कठोर ट्रैवल नियम राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक हैं। वहीं आलोचकों का कहना है कि यह नीति भेदभावपूर्ण होगी और कई प्रगतिशील व सहयोगी देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस संभावित ट्रैवल बैन को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ देशों ने निजी रूप से चिंता जताई है कि यदि उनका नाम सूची में शामिल हुआ, तो कूटनीतिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे “अत्यधिक प्रतिबंधात्मक” और “अन्यायपूर्ण” बताते हुए विरोध के संकेत दिए हैं।
ट्रंप की टीम अगले कुछ दिनों में अंतिम सूची और औपचारिक निर्देश तैयार करने पर काम कर रही है। दुनिया की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि किन देशों को इस नए अमेरिकी ट्रैवल बैन में शामिल किया जाएगा। एक बात साफ है—इस फैसले का वैश्विक राजनीति, इमिग्रेशन नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।