थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पुराना तनाव एक बार फिर उभर आया है। दोनों देशों की सीमा पर पिछले कुछ दिनों से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। ऐतिहासिक विवादों और सीमा निर्धारण को लेकर चल रही खींचतान अब नए टकराव का रूप लेती दिखाई दे रही है। दक्षिण-पूर्व एशिया के इन दो पड़ोसी देशों के बीच यह संघर्ष अचानक नहीं भड़का, बल्कि वर्षों से चले आ रहे विवादित मुद्दों की पुनरावृत्ति है, जिसने एक बार फिर क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौती दी है।
ताज़ा घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब सीमा चौकियों के पास सैन्य गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर घुसपैठ, अवैध निर्माण और संघर्ष भड़काने के आरोप लगा रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, सीमा के पास कुछ स्थानों पर हल्की गोलीबारी और चेतावनीपूर्ण फायरिंग की घटनाएँ भी सामने आई हैं। हालांकि अब तक किसी बड़े नुकसान की जानकारी नहीं है, लेकिन तनाव लगातार बढ़ रहा है।
इस विवाद की जड़ें प्रेह विहेयर (Preah Vihear) मंदिर क्षेत्र से जुड़ी हैं, जो लंबे समय से दोनों देशों के बीच विवाद का केंद्र रहा है। 11वीं सदी में निर्मित यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर पर कंबोडिया का दावा स्वीकार किया था, लेकिन इसके आसपास की जमीन को लेकर विवाद अभी भी अनसुलझा है। इसी सीमावर्ती इलाके में दोनों देशों की सेनाओं के बीच पहले भी कई बार संघर्ष हुए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, राजनीतिक परिस्थितियाँ भी इस तनाव को बढ़ावा दे रही हैं। थाईलैंड और कंबोडिया दोनों में घरेलू राजनीति अस्थिर है और ऐसे माहौल में सीमा विवादों का उभरना आम बात है। कई बार सरकारें आंतरिक दबावों से ध्यान हटाने के लिए सीमा पर आक्रामक रुख अपनाती रही हैं। इसके अलावा, स्थानीय समूहों और सीमा से सटे गांवों में रहने वाले लोगों के बीच भी संदेह और असुरक्षा का माहौल है।
ताज़ा संघर्ष को देखते हुए आसियान (ASEAN) देशों ने चिंता व्यक्त की है। क्षेत्रीय संगठन का मानना है कि अगर यह तनाव बढ़ा, तो इसका असर दक्षिण-पूर्व एशिया की शांति, व्यापार और सुरक्षा पर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार और पर्यटन की एक बड़ी श्रृंखला है, जो किसी भी सैन्य तनाव के कारण प्रभावित हो सकती है।
कंबोडिया ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने की बात कही है, जबकि थाईलैंड का कहना है कि समस्या का समाधान बातचीत और द्विपक्षीय संवाद से ही संभव है। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने विवाद कम करने के लिए सीमाई कमांडरों की बैठक बुलाने की पहल की है।
हालांकि, जमीनी स्तर पर स्थिति कितनी सुधरेगी, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर जल्द बातचीत नहीं हुई, तो संघर्ष गहरा सकता है और इसके व्यापक क्षेत्रीय परिणाम हो सकते हैं।
कुल मिलाकर, थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर फिर से छिड़ा यह विवाद केवल दो देशों के बीच तनाव भर नहीं है, बल्कि पूरी दक्षिण-पूर्व एशियाई स्थिरता के लिए गंभीर संकेत है। शांतिपूर्ण समाधान ही क्षेत्र की सुरक्षा और आपसी विश्वास को बनाए रखने का एकमात्र रास्ता है।