दर्पण न्यूज़ सर्विस
चंडीगढ़, 27 नवंबरः पंजाब के ट्रांसपोर्ट टेंडर घोटाले में घिरे पूर्व कांग्रेसी मंत्री भारत भूषण आशु की मुश्किलें बढ़ गई हैं। AAP सरकार ने विजिलेंस को आशू के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी है। विजिलेंस ने सरकार से यह मांग की थी। आशू को ट्रांसपोर्ट टेंडर घोटाला में नामजद कर विजिलेंस ने 22 अगस्त को सैलून से गिरफ्तार किया था।
14 नवंबर को दायर की थी चार्जशीट
22 अगस्त को गिरफ्तार किए जाने के बाद से आशू मामले में अभी भी न्यायिक हिरासत में जेल में है। विजिलेंस ब्यूरो ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू, ठेकेदार तेलू राम और कमीशन एजेंट (आढ़ती) कृष्ण लाल धोतीवाला के खिलाफ अदालत में चार्जशीट 14 नवंबर को दायर की थी।
SSP रविंदरपाल सिंह संधू ।
लुधियाना रेंज के SSP रविंदरपाल सिंह संधू ने कहा कि उन्होंने सरकार से पूर्व मंत्री आशू पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति के लिए आवेदन किया था, जो उन्हें प्राप्त हुआ। जिन आरोपियों के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो ने अदालत में चार्जशीट दायर की थी उनमें से 3 ठेकेदार और आढ़ती हैं और उनके लिए अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।
सिंगला के लिए स्वीकृति की जरूरत नहीं
SSP संधू ने कहा कि बर्खास्त उपनिदेशक खाद्य और नागरिक आपूर्ति RK सिंगला को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। सिंगला पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। इस कारण उस पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है। दो जिला खाद्य और नागरिक आपूर्ति नियंत्रक (DFSC) सुखविंदर सिंह गिल, हरवीन कौर को 22 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। ब्यूरो उनके खिलाफ जांच पूरी करने के बाद मुकदमा चलाने की सरकार से मंजूरी के लिए आवेदन करेगा।
मिलीभगत से हुई धांधली
जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि तेलू राम ने उक्त काम के लिए करीब 25 करोड़ रुपए की रकम हासिल की थी। टेंडर प्राप्त करने के लिए मुलजिमों की तरफ से जमा करवाई गई गाड़ियों की सूचियों में कारों, स्कूटरों, मोटरसाइकिलों आदि के रजिस्ट्रेशन नंबर थे। जबकि उन्हें ढुलाई वाले वाहनों की सूचियों की पड़ताल करनी बनती थी। जांच के बाद जिला टेंडर कमेटी के द्वारा तकनीकी बोली को रद्द करना जरूरी था, लेकिन उन्होंने मिलीभगत करके टेंडर अलॉट कर दिए।
गेट पासों में भी स्कूटरों, कारों आदि के नंबर लिखे हुए थे, लेकिन उक्त अधिकारियों ने इन गेट पासों में दर्ज सामग्री के सम्बन्ध में मुलजिम ठेकेदारों को अदायगी कर दी। इसके साथ अनाज के गबन का मामला भी सामने आया है।
लुधियाना विजिलेंस ने धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी, आदि), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज़ को असली के रूप में उपयोग करना), 120B ( लुधियाना में सतर्कता ब्यूरो पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (2), 8, 12 और 13 (2) के तहत मामला दर्ज किया है।
6 लोगों की हो चुकी गिरफ्तारी
मामले में अब तक कुल छह आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सतर्कता ब्यूरो ने पहले ही पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू के निजी सहायक (पीए) आरके सिंगला, बर्खास्त उपनिदेशक खाद्य और नागरिक आपूर्ति, पंकज कुमार उर्फ मेनू मल्होत्रा और इंद्रजीत सिंह उर्फ इंदी सहित तीन आरोपियों के खिलाफ अदालत में कार्यवाही शुरू कर दी थी। उन्हें अपराधी घोषित करने के लिए।