बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए नदी की स्थानीय परिस्थितियों का अध्ययन किए जाने के निर्देश
सभी नदियों का ड्रोन सर्वेक्षण कर समुचित जानकारी प्राप्त की जाए, नदी के मेन स्ट्रीम में जहां कहीं भी सिल्ट की अधिकता हो या नदी उथली हो, वहां ड्रेजिंग को प्राथमिकता देते हुए नदी को चैनलाइज किया जाए : मुख्यमंत्री
प्रदेश में बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 08 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले, बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जनपदों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई
वर्तमान सत्र के लिए तय की गई परियोजनाओं का अवशेष कार्य प्राथमिकता के आधार पर नियत समय के भीतर पूरा करा लिया जाए
सभी ड्रेन की सफाई का कार्य 31 मार्च, 2025 के पहले पूर्ण करा लिया जाए
लखनऊ, 28 फरवरी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए नदी की स्थानीय परिस्थितियों का अध्ययन किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी नदियों का ड्रोन सर्वेक्षण कर समुचित जानकारी प्राप्त की जाए। नदी के मेन स्ट्रीम में जहां कहीं भी सिल्ट की अधिकता हो या नदी उथली हो, वहां ड्रेजिंग को प्राथमिकता देते हुए नदी को चैनलाइज किया जाए। ड्रेजिंग से समाधान सम्भव न होने पर ही तटबन्ध अथवा कटान निरोधी अन्य उपायों को अपनाया जाए।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में बाढ़ सम्बन्धी परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने बाढ़ प्रबन्धन और जन-जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत जारी तैयारियों तथा बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील/संवेदनशील जनपदों की अद्यतन स्थिति की भी समीक्षा की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 08 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जनपदों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आयी है। विशेषज्ञों की सलाह से हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पायी है। बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अन्तरविभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि वर्तमान सत्र के लिए तय की गई परियोजनाओं का अवशेष कार्य प्राथमिकता के आधार पर नियत समय के भीतर पूरा करा लिया जाए। परियोजनाओं में देरी से न केवल कार्य प्रभावित होता है, बल्कि बजट भी बढ़ता है। ऐसे में सभी परियोजनाओं को निर्धारित समय-सीमा में पूरा किया जाना चाहिए। किसी भी परियोजना का बजट पुनरीक्षण नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, संतकबीरनगर, पीलीभीत और बाराबंकी जनपद शामिल हैं। सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्धनगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज जनपद संवेदनशील प्रकृति के हैं। यहां विभाग को अलर्ट मोड में रहना होगा। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबन्धों का वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3,869 कि0मी0 लम्बाई के 523 तटबन्ध निर्मित हैं, जबकि 60,047 किलोमीटर लम्बाई के 10,727 ड्रेन हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबन्धों की सतत निगरानी की जाए। सभी ड्रेन की सफाई का कार्य 31 मार्च, 2025 के पहले पूर्ण करा लिया जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कण्ट्रोल रूम 24ग7 एक्टिव मोड में रहें। श्रावस्ती, गोण्डा, सीतापुर, हरदोई एवं बाराबंकी जनपदों में प्रस्तावित कार्यों को समय से गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए। नदियों में अवैध खनन की गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए लगातार मॉनीटरिंग की जाए।
बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई श्री अनिल गर्ग ने मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया कि जन-धन की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए वर्ष 2018-19 से अब तक 1,575 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं हैं। इसमें से 305 परियोजनाएं वर्ष 2024-25 में पूरी की गई हैं। वर्ष 2024-25 में हुए प्रयासों से 4.97 लाख हेक्टेयर भूमि और 60.45 लाख की आबादी को लाभ हुआ है।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रामकेश निषाद, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना श्री संजय प्रसाद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।