अयोध्या के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कायाकल्प की दिशा में एक और अहम कदम बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को संत रविदास मंदिर में नवनिर्मित सत्संग भवन का लोकार्पण किया। ₹115 लाख की लागत से बने इस भवन का निर्माण पर्यटन विभाग के सहयोग से यूपीपीसीएल द्वारा किया गया है। इस भवन में लगभग 400 श्रद्धालुओं के एक साथ बैठने की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि अयोध्या के विकास की यह एक नई कड़ी है, जो न केवल भौतिक विकास को दर्शाती है बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि को भी आगे बढ़ाती है। उन्होंने संत रविदास जी, महात्मा बुद्ध और डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना भी की।
संत रविदास: मध्यकालीन भारत के सामाजिक क्रांति के अग्रदूत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत रविदास जी को उस युग का सामाजिक चेतना जाग्रत करने वाला व्यक्तित्व बताया, जब भारत विदेशी आक्रमणों से त्रस्त था और समाज जातिगत भेदभाव से जूझ रहा था। उन्होंने कहा, “संत रविदास जी ने ‘कर्म को प्रधानता’ देते हुए समाज को जो संदेश दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है।”
उन्होंने संत रविदास के प्रसिद्ध वाक्य – "ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिलै सबन को अन्न, छोट-बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न" का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक समतामूलक समाज की अवधारणा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
“मन चंगा तो कठौती में गंगा” – आस्था और कर्म का संदेश
मुख्यमंत्री ने संत रविदास से जुड़ा एक प्रसिद्ध प्रसंग साझा करते हुए कहा कि संत ने कार्य को प्राथमिकता देते हुए गंगा स्नान की बजाय अपने साथियों को एक आना देकर अपनी ओर से गंगा जी को अर्पित करने को कहा था। जब वह दक्षिणा गंगा में अर्पित की गई, तो गंगा जी ने स्वयं उसे स्वीकार कर लिया। संत रविदास ने तब कहा था – “मन चंगा तो कठौती में गंगा”। यह कथन आज भी आस्था, कर्म और समर्पण की मिसाल है।
‘विकसित भारत’ की अवधारणा में संत रविदास की प्रेरणा
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में चल रहे ‘विकसित भारत’ अभियान को संत रविदास जी के विचारों से प्रेरित बताते हुए कहा, “प्रधानमंत्री हर नागरिक को प्रेरित कर रहे हैं कि वे एक ऐसे भारत के निर्माण में सहभागी बनें, जहां जातिवाद, विषमता और अभाव का कोई स्थान न हो।”
उन्होंने कहा कि संत रविदास जी की कर्मप्रधान साधना आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत है, और ‘विकसित भारत’ की नींव इन्हीं विचारों पर रखी जा रही है।
अयोध्या और काशी – सांस्कृतिक धरोहर के गौरवमय प्रतीक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीते 10 वर्षों में काशी और अयोध्या दोनों ही शहरों का कायाकल्प हुआ है। काशी में संत रविदास जी की जन्मस्थली सीर गोवर्धन में भव्य प्रतिमा और अन्न क्षेत्र का निर्माण, सड़क संपर्क और बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हुआ है।
उन्होंने कहा, “8 वर्ष पहले कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फोरलेन सड़कों का जाल, माता शबरी के नाम पर अन्न क्षेत्र, निषादराज विश्रामालय और पंचकोसी व चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग का कायाकल्प होगा। आज ये सब वास्तविकता बन चुके हैं।”
पहली सोलर सिटी के रूप में अयोध्या की पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब अयोध्या देश की पहली सोलर सिटी बन चुकी है, जो स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। “आज भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें अयोध्या पर टिकी हैं,” उन्होंने कहा।
संत समाज को सरकार की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री ने संत रविदास मंदिर के महंत बनवारीपति ब्रह्मचारी जी महाराज और अन्य संत समुदायों को कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि सरकार सभी समुदायों को जोड़कर, उनके धार्मिक स्थलों के विकास और सांस्कृतिक महत्व को पुनर्स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प है।
उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के नाम पर अयोध्या के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नामकरण इसी सांस्कृतिक पुनरुद्धार का हिस्सा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि रजक समाज, पासी समाज, वाल्मीकि समुदाय जैसे सभी वर्गों की भागीदारी समाज को एक नई दिशा देने में सहायक है।
सामूहिक भोज और जनप्रतिनिधियों से संवाद
कार्यक्रम के उपरांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संत रविदास मंदिर परिसर स्थित सत्संग भवन में संतजनों के साथ सामूहिक भोज में सम्मिलित हुए। साथ ही, उन्होंने सरयू अतिथि गृह में जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अयोध्या की विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक भी की।