म्यांमार में सैन्य हिंसा ने एक बार फिर मासूमों को निशाना बनाया है। देश के मध्य क्षेत्र में स्थित एक सरकारी स्कूल पर सेना द्वारा किए गए हवाई हमले में कम से कम 20 छात्र और 2 शिक्षक मारे गए हैं, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। यह हमला ऐसे समय हुआ है जब म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ विद्रोह और संघर्ष लगातार तेज़ हो रहा है।
हवाई बमबारी से स्कूल तबाह
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, म्यांमार सेना के जेट विमानों ने सोमवार सुबह उस स्कूल को निशाना बनाया जहां बच्चों की नियमित कक्षाएं चल रही थीं। बमबारी इतनी भीषण थी कि स्कूल की इमारत पूरी तरह ध्वस्त हो गई। आसपास के गांवों में अफरातफरी फैल गई और दर्जनों घायल बच्चों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
नागरिकों पर हमले की बढ़ती घटनाएं
पिछले कुछ महीनों में म्यांमार की सेना पर नागरिक क्षेत्रों में हमले करने और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह ताजा हमला उस कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें सेना विद्रोही समूहों को दबाने के नाम पर आम लोगों को निशाना बना रही है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने म्यांमार की सेना को युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इन संगठनों का कहना है कि बच्चों और शिक्षकों पर किया गया यह हमला अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का गंभीर उल्लंघन है और इसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय दबाव की मांग
इस हमले के बाद म्यांमार की स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बढ़ गया है। एशियाई देशों के साथ-साथ अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी सेना की निंदा करते हुए तत्काल संघर्षविराम की अपील की है।
म्यांमार में शिक्षा और सुरक्षा का ताना-बाना जिस तरह से सेना की आक्रामक नीतियों के नीचे कुचला जा रहा है, वह समूचे विश्व समुदाय के लिए चिंता का विषय है।