मध्य-पूर्व में तनाव एक बार फिर अपने चरम पर है। ताजा घटनाक्रम में अमेरिका ने ईरान के खिलाफ सशस्त्र कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सख्त रुख अपनाते हुए ईरान पर सैन्य कार्रवाई की योजना को मंजूरी दे दी है। यह फैसला उस वक्त आया है जब खाड़ी क्षेत्र में ईरान की आक्रामक गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं और अमेरिका के रणनीतिक हितों को सीधे तौर पर चुनौती मिल रही है।
ट्रंप की बैठक के बाद तेज़ी से बदले हालात
जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों और खुफिया एजेंसियों के साथ ट्रंप की बैठक के बाद सैन्य कार्रवाई के लिए ‘अटैक प्लान’ को अंतिम रूप दे दिया गया है। सूत्रों की मानें तो अमेरिका ने कुछ खास ईरानी सैन्य ठिकानों और परमाणु स्थलों को टारगेट करने की रणनीति बनाई है।
हाल ही में ईरान द्वारा इजराइल के खिलाफ किए गए रॉकेट हमलों और अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों के बाद यह निर्णय सामने आया है। अमेरिका अब इसे सीधी सुरक्षा चुनौती मानकर जवाबी कार्रवाई की ओर बढ़ रहा है।
वैश्विक तनाव की संभावना
अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो यह केवल दो देशों के बीच का संघर्ष नहीं रहेगा, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में संघर्ष फैल सकता है। इसके चलते तेल की कीमतों में भारी उछाल और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना तय माना जा रहा है।
वहीं संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने संयम बरतने की अपील की है। लेकिन ट्रंप प्रशासन की ओर से आ रहे संकेत बताते हैं कि सैन्य कार्रवाई अब केवल वक्त का इंतजार है।
ईरान की प्रतिक्रिया भी आक्रामक
दूसरी ओर, ईरान ने भी अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उसके खिलाफ हमला हुआ तो वह पूरे क्षेत्र को युद्ध की आग में झोंक देगा। ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि ईरान अपने आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
चुनावी साल में ट्रंप का सख्त संदेश
गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव करीब हैं और ट्रंप अपनी पुरानी रणनीति के मुताबिक एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा और आक्रामक विदेश नीति के सहारे वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में ईरान के खिलाफ सख्त रुख उनके चुनावी एजेंडे का हिस्सा भी माना जा रहा है।
अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ता तनाव केवल सैन्य टकराव की ओर ही नहीं, बल्कि वैश्विक अस्थिरता की आशंका को भी जन्म दे रहा है। अब देखना होगा कि यह संकट कूटनीति से सुलझेगा या फिर युद्ध के नए अध्याय की शुरुआत होगी।