रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। हाल ही में उन्होंने कहा कि सीजफायर की दिशा में पहला कदम उठाने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को आमने-सामने बातचीत करनी चाहिए। यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रंप ने कुछ सप्ताह पहले दावा किया था कि वे सत्ता में आते ही 24 घंटे में युद्ध खत्म कर देंगे।
ट्रंप की नई शर्त
अमेरिकी मीडिया को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा,
*"मुझे लगता है कि बातचीत के बिना युद्ध नहीं रुक सकता। दोनों नेताओं को सीधा संवाद करना होगा।" *
उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक पुतिन और जेलेंस्की आपसी समझ बनाने की कोशिश नहीं करते, तब तक किसी भी अंतरराष्ट्रीय पहल का असर सीमित रहेगा। ट्रंप के इस बयान को यू-टर्न माना जा रहा है, क्योंकि इससे पहले उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कड़े फैसले लेने की बात कही थी।
चुनावी रणनीति या कूटनीतिक संदेश?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए दिया गया है। वह खुद को एक शांतिवार्ता समर्थक नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं। उनके इस रुख को यूरोप और नाटो देशों में भी बारीकी से देखा जा रहा है। कई विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की रणनीति रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों की आक्रामक नीति को संतुलित करने का संकेत हो सकती है।
रूस-यूक्रेन जंग की मौजूदा स्थिति
2022 में शुरू हुए इस युद्ध को तीन साल पूरे होने को हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं निकल सका है। हाल के महीनों में संघर्ष और तेज हुआ है। पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क इलाकों में भारी लड़ाई जारी है, जबकि रूस ने ब्लैक सी कॉरिडोर पर अपनी पकड़ मजबूत की है। इस युद्ध में अब तक लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों जानें जा चुकी हैं।
सीजफायर की चुनौती
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही ट्रंप वार्ता का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन सीजफायर आसान नहीं होगा। रूस यूक्रेन से नाटो में शामिल होने की गारंटी छोड़ने की मांग कर रहा है, जबकि यूक्रेन अपने क्षेत्रों की संप्रभुता से कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि आमने-सामने बातचीत की संभावना भी फिलहाल धुंधली लग रही है।
ट्रंप के बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में अमेरिका और यूरोप इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।