अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से वैश्विक कूटनीति में अपने आक्रामक रुख के लिए चर्चा में रहे हैं। हाल के घटनाक्रमों ने एक बार फिर उनके दांव को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यूक्रेन का NATO में शामिल होना और रूस से क्रीमिया को वापस लेने की कोशिश ट्रंप की कूटनीतिक गणनाओं के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। सवाल यह है कि आखिर उनकी रणनीति कहां चूक रही है?
यूक्रेन का NATO में शामिल होना: रूस के लिए सीधी चुनौती
यूक्रेन लंबे समय से NATO सदस्यता का प्रयास कर रहा था। अब यह कदम रूस के खिलाफ पश्चिमी गठबंधन को मजबूत करता है। यह रूस के लिए सीधी सुरक्षा चुनौती है, क्योंकि NATO की उपस्थिति उसके प्रभाव क्षेत्र में बढ़ेगी। ट्रंप ने अपने कार्यकाल में रूस से तनाव कम करने और यूरोपीय सहयोगियों पर रक्षा खर्च बढ़ाने का दबाव बनाने की नीति अपनाई थी। लेकिन मौजूदा हालात दिखाते हैं कि ट्रंप की कोशिशों के बावजूद रूस और पश्चिम के बीच दूरी कम नहीं हुई।
क्रीमिया का मुद्दा: भू-राजनीति का केंद्रबिंदु
क्रीमिया पर रूस का कब्जा 2014 से अंतरराष्ट्रीय विवाद का विषय रहा है। यूक्रेन इसे वापस लेने के लिए दृढ़ है, और NATO सदस्यता के बाद उसकी स्थिति मजबूत होगी। ट्रंप के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि उन्होंने अपने चुनावी भाषणों में दावा किया था कि वे रूस-यूक्रेन विवाद को जल्दी सुलझा लेंगे। लेकिन मौजूदा घटनाक्रम संकेत दे रहे हैं कि संघर्ष और गहरा सकता है।
ट्रंप की कूटनीति क्यों हुई कमजोर?
ट्रंप की रणनीति रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाने की थी, लेकिन उन्होंने यूरोपीय देशों को सुरक्षा खर्च बढ़ाने की धमकी देकर NATO में दरार डालने की कोशिश की। नतीजा यह हुआ कि यूरोप ने रूस के खिलाफ और अधिक एकजुट होकर खड़ा होने का फैसला किया। ट्रंप के बयानबाजी वाले रवैये ने न केवल कूटनीतिक भरोसे को कमजोर किया बल्कि उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए।
भविष्य की तस्वीर: तनाव और बढ़ेगा?
यूक्रेन का NATO में शामिल होना रूस को और आक्रामक बना सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस क्रीमिया को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होगा, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ सकती है। अगर हालात बिगड़ते हैं, तो यह ट्रंप के राजनीतिक करियर पर भी असर डालेगा, खासकर जब वे अगले चुनाव के लिए तैयार हो रहे हैं।
ट्रंप की कोशिशें फिलहाल विफल होती दिख रही हैं। न तो रूस के साथ संबंध सुधरे और न ही यूक्रेन संकट सुलझा। बल्कि, NATO का विस्तार और क्रीमिया पर बढ़ता तनाव उनके लिए नई मुश्किलें खड़ी कर रहा है।