लोकसभा चुनाव से पहले बना INDIA गठबंधन एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह एकजुटता नहीं बल्कि दरार है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कार्यकाल से जुड़े प्रस्तावित बिल ने विपक्षी दलों के बीच नई खाई पैदा कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में केंद्र सरकार ने ऐसा विधेयक लाने की तैयारी तेज की है, जिसमें प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल और शक्तियों से जुड़ी कुछ अहम प्रावधान शामिल हो सकते हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वह इस प्रस्ताव का विरोध करेगी। अब समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी TMC की राह पकड़ते हुए INDIA गठबंधन से अलग रुख अपनाया है।
सपा और TMC क्यों नाराज़?
सपा नेताओं का मानना है कि यह बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है और राज्यों की स्वायत्तता पर सीधा हमला करेगा। वहीं, TMC की दलील है कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के कार्यकाल को सीमित करना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। दोनों दलों ने संकेत दिए हैं कि वे इस बिल पर संसद में सरकार का साथ नहीं देंगे।
गठबंधन की एकजुटता पर सवाल
INDIA गठबंधन पहले से ही सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा था। अब इस बिल पर असहमति ने दरार को और गहरा कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह स्थिति बनी रही तो गठबंधन की चुनावी रणनीति पर असर पड़ सकता है। कांग्रेस, जो गठबंधन की धुरी मानी जा रही है, ने फिलहाल संयमित रुख अपनाया है और कहा है कि इस पर चर्चा कर संयुक्त रुख तय किया जाएगा।
सरकार की रणनीति और विपक्ष की चुनौती
सरकार का कहना है कि यह बिल शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और स्थिरता लाने के लिए जरूरी है। लेकिन विपक्षी दल इसे केंद्र द्वारा राज्यों पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश बता रहे हैं। आने वाले मानसून सत्र में यह मुद्दा संसद में गरमा सकता है।
TMC और सपा के विरोध ने स्पष्ट कर दिया है कि INDIA गठबंधन के भीतर मतभेद गहरे हैं। यह स्थिति न सिर्फ विपक्षी एकजुटता को कमजोर कर रही है, बल्कि सत्तारूढ़ दल को राजनीतिक बढ़त भी दे सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इन मतभेदों को पाट पाती है या गठबंधन औपचारिक रूप से बिखरने की ओर बढ़ता है।