पश्चिम बंगाल में चुनावी तैयारियों के बीच बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) की नाराज़गी खुलकर सामने आ गई है। देर रात तक फोन कॉल, मतदाता सूची में बार-बार डबल एंट्री की जाँच, और अचानक आने वाले प्रशासनिक आदेशों से परेशान BLOs ने चुनाव आयोग के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि लगातार बढ़ते बोझ और अव्यवस्थित निर्देशों ने काम करना बेहद मुश्किल कर दिया है।
कई जिलों के BLOs का कहना है कि रात 10 बजे के बाद भी उन्हें कॉल किए जा रहे हैं, जिनमें तत्काल डेटा अपडेट, फील्ड विज़िट और सूची सत्यापन जैसे कार्यों के लिए कहा जाता है। अधिकारियों की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि चुनाव प्रक्रिया को निर्बाध बनाए रखने के लिए तेज़ी से काम पूरा करना जरूरी है, लेकिन BLOs का आरोप है कि यह दबाव अनावश्यक और प्रबंधन की विफलता का परिणाम है।
डबल एंट्री का मुद्दा भी विवाद को और गहरा कर रहा है। BLOs के मुताबिक, मतदाता सूची में दोहरे नामों को हटाने और संशोधित करने के लिए अचानक आदेश जारी किए जा रहे हैं, जबकि कई बार तकनीकी गड़बड़ियों के चलते सिस्टम खुद दोहराव तैयार कर देता है। ऐसे में दोष BLOs पर मढ़ दिया जाता है और सुधार के लिए उन्हें बार-बार फील्ड में भेजा जाता है। इससे उन्हें अतिरिक्त समय और संसाधन खर्च करने पड़ते हैं।
एक BLO ने शिकायत करते हुए कहा कि कई बार सुबह का काम पूरा करने से पहले ही दोपहर में नए निर्देश आ जाते हैं, जबकि शाम को फिर से अलग आदेश जारी हो जाते हैं। यह लगातार बदलते निर्देश न केवल भ्रम पैदा करते हैं, बल्कि समय सीमा में काम पूरा करने का दबाव भी बढ़ाते हैं।
इस घटना को लेकर विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने भी आवाज उठाई है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग को BLOs के कार्यभार का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए, क्योंकि वर्तमान स्थिति में उनके पास न पर्याप्त अवकाश मिल रहा है और न ही काम की स्पष्ट दिशा। कई BLOs ने यह भी शिकायत की कि बिना किसी प्रशिक्षण के उन्हें डिजिटल अपडेट और तकनीकी सत्यापन करने को कहा जाता है, जिससे त्रुटियाँ बढ़ जाती हैं।
विपक्षी दलों ने भी इस पूरे मसले पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। हालांकि आयोग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उच्च अधिकारियों ने शिकायतों की जांच करने का आश्वासन दिया है।