बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने न सिर्फ देश की राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान भी अपनी ओर खींचा। पश्चिमी मीडिया ने इस चुनावी जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निरंतर वैश्विक लोकप्रियता और भारत की बदलती राजनीतिक तस्वीर का प्रतीक बताया है। कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने इसे “ब्रांड मोदी की स्थिर शक्ति” के रूप में वर्णित किया, जिसने बिहार जैसे चुनौतीपूर्ण राज्य में भी निर्णायक भूमिका निभाई।
पश्चिमी अखबारों और थिंक-टैंकों का मानना है कि मोदी का व्यक्तिगत करिश्मा, उनकी सामाजिक कल्याण योजनाएँ और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनकी छवि ने एनडीए गठबंधन को मजबूत बढ़त दिलाई। रिपोर्टों में यह भी उल्लेख है कि ग्रामीण मतदाता, महिलाएँ और पहली बार मतदान करने वाले युवा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भरोसा जताते हुए दिखे। विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार का चुनाव परिणाम भारत की चुनावी राजनीति में राष्ट्रीय नेतृत्व की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है, जो क्षेत्रीय समीकरणों से परे जाकर स्थिरता और विकास के एजेंडे पर केंद्रित है।
पश्चिमी मीडिया ने यह भी रेखांकित किया कि बिहार में विकास, अवसंरचना सुधार, केंद्र-राज्य समन्वय और कल्याणकारी योजनाएँ बड़े मुद्दे रहे। विश्लेषणों में नोट किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा ने भारतीय मतदाताओं की धारणा को प्रभावित किया है। कई रिपोर्टों में कहा गया कि जिस तरह मोदी विश्व मंच पर भारत की छवि को मजबूत बना रहे हैं, उसका राजनीतिक लाभ घरेलू चुनावों में भी दिखाई दे रहा है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने यह भी टिप्पणी की कि बिहार की जीत ने मोदी के राजनीतिक ब्रांड को “वैश्विक केस स्टडी” के रूप में स्थापित कर दिया है। नेतृत्व, संदेश प्रबंधन, सोशल मीडिया की भूमिका और चुनावी रणनीति को लेकर कई विश्लेषणों में कहा गया कि भारत के प्रधानमंत्री ने आधुनिक राजनीतिक संचार के नए मानक तय किए हैं।
बिहार का परिणाम यह भी संकेत देता है कि वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती आर्थिक और कूटनीतिक शक्ति का असर अब देश की राजनीति में स्पष्ट दिखता है। पश्चिमी मीडिया मान रहा है कि मोदी की यह जीत भारत की उभरती वैश्विक भूमिका का भी प्रतिबिंब है, जहाँ घरेलू समर्थन और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव एक-दूसरे को मजबूत करते हैं।