उत्तर भारत में सर्दी ने इस बार समय से पहले ही तीखा रूप दिखाना शुरू कर दिया है। नवंबर के मध्य में ही तापमान जिस रफ्तार से नीचे गिर रहा है, उसने मौसम विभाग और आम लोगों—दोनों को सतर्क कर दिया है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कई स्थानों पर तापमान शून्य के करीब पहुंचने लगा है। पहाड़ी जिलों में रात के समय धरती जमने लगी है, जिससे स्थानीय लोगों की दिनचर्या खासा प्रभावित हो रही है। ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के बाद सड़कें फिसलनभरी हो गई हैं, जबकि ठंडी हवाओं ने सामान्य जनजीवन को और कठिन बना दिया है।
हिमाचल के लाहौल-स्पीति, किन्नौर और कुल्लू के ऊपरी इलाकों में रात का तापमान माइनस में दर्ज हो रहा है। सुबह की पाले ने खेतों को सफेद चादर से ढक दिया है। कश्मीर घाटी में भी ठंड तेजी से बढ़ रही है। कई इलाकों में कोहरा और धुंध के कारण दृश्यता प्रभावित हुई है, जिससे परिवहन व्यवस्था पर असर पड़ा है। श्रीनगर में न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी नीचे चला गया है और डल झील के किनारों पर बर्फ जमने लगी है।
सिर्फ पहाड़ ही नहीं, मैदानी हिस्सों में भी सर्दी का असर अब स्पष्ट महसूस होने लगा है। राजस्थान में रातें खासकर ज्यादा ठंडी होने लगी हैं। सीकर, चूरू और बीकानेर जैसे जिलों में तापमान औसत से 2–3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है। शुष्क हवाओं ने ठिठुरन को और बढ़ा दिया है। वहीं राजधानी जयपुर में भी सुबह-शाम भारी सर्दी ने लोगों को स्वेटर और जैकेट पहनने पर मजबूर कर दिया है।
पश्चिम बंगाल में भी ठंड ने समय से पहले दस्तक दे दी है। कोलकाता सहित दक्षिणी जिलों में पारा सामान्य से नीचे दर्ज किया गया है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तर भारत की ओर से आने वाली ठंडी हवाएं बंगाल तक पहुंच रही हैं, जिससे तापमान में गिरावट हो रही है।
मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों में उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में तापमान और गिर सकता है। पहाड़ों में बर्फबारी के नए दौर की संभावना है, जबकि मैदानी इलाकों में कोहरे का असर बढ़ेगा। विभाग ने किसानों को सुबह के पाले से फसल बचाने के उपाय करने की सलाह दी है।
तेजी से बढ़ती ठंड यह संकेत दे रही है कि इस बार सर्दी लंबी और कड़क हो सकती है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता और हवा के बदलते पैटर्न ने ठंड को और तीखा कर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।