मध्यपूर्व में तनाव फिर तेज होते दिख रहे हैं। अनेक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार ईरान अपनी मिसाइल क्षमताओं को तेज़ी से बढ़ा रहा है और वह भविष्य के किसी भी सैन्य टकराव में एक साथ हजारों रॉकेट/मिसाइल दागने की क्षमता हासिल करने पर काम कर रहा है — कुछ स्रोत इस संख्या को करीब 2,000 मिसाइलों तक बता रहे हैं।
विश्लेषकों का तर्क है कि 2025 की गर्मियों में हुए बड़े खुले संघर्ष और उसके बाद के झटकों ने तहरीक-ए-मिसाइल उत्पादन और भंडारण को बढ़ाने की नीति को और तेज कर दिया है। ईरानी अधिकारी और रक्षा उद्योग के स्रोत बताते हैं कि फोर्ज़-वार फैक्ट्री और निर्गत स्थानों पर उत्पादन-धाराएँ 24×7 चल रही हैं ताकि भविष्य में एक बड़े पैमाने पर हमला किया जा सके। ऐसे संकेतों का हवाला देते हुए कई रणनीतिक अनुसंधान केंद्रों ने इशारा किया है कि तेहरान की मंशा इज़राइली सुरक्षा प्रणालियों को संख्या के बल पर पेचिश में डालने की है। ऐलान किया है। रिपोर्टें कहती हैं कि इजरायली रक्षा मंत्रालय ने अतिरिक्त बजट मांगा है और एयर-डिफेंस, मिसाइल-रोधी तंत्र तथा लिंक्ड हथियार प्रणालियों की आपूर्ति बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं — उद्देश्य संभावित, बड़े पैमाने के मिसाइल हमलों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना है।
कूटनीतिक स्तर पर भी घमासान बना हुआ है। वैश्विक ज्यादातर शक्तियाँ, विशेषकर अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश, क्षेत्रीय उपायों और संभावित मध्यस्थता पर विचार कर रहे हैं, जबकि स्थानीय सहयोगी-शक्तियों ने अपने-अपने सैन्य और कूटनीतिक विकल्पों को पुनर्मूल्यांकित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सीमित टकराव भी अगर सूंघा नहीं गया तो यह क्षेत्रीय संघर्ष में बदल सकता है, जिससे ऊर्जा बाजार, शरणार्थी बहाव और वैश्विक सुरक्षा ढांचे पर असर पड़ेगा।
हालांकि अभी तक किसी पक्ष ने खुलकर ‘आगे की साठ-छह’ घोषणा कर दी हो, पर क्षेत्रीय सैन्य तैयारियों, मिसाइल निर्माण की गति और भंडार बढ़ाने के कदमों ने घबराहट बढ़ा दी है। कूटनीति, सैन्य तैयारी और अंतरराष्ट्रीय दबाव — तीनों ही मिलकर अगले हफ्तों में दिशा तय करेंगे कि आहट वास्तविक युद्ध में बदलेगी या सतर्कता और कूटनीतिक हल निकालकर टला जा सकेगा।