देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। नवंबर की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण ने खतरनाक स्तर पार कर लिया है। बुधवार, 13 नवंबर 2025 की सुबह दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार दर्ज किया गया। दरियागंज इलाके में यह स्तर 455 तक पहुंच गया, जो ‘गंभीर श्रेणी’ में आता है। हवा में फैला धुंध का परत इतना घना है कि दृश्यता बेहद कम हो गई है और सांस लेना भी मुश्किल हो गया है।
सफर (System of Air Quality and Weather Forecasting and Research) के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI 432 दर्ज किया गया, जबकि आनंद विहार, आईटीओ, अशोक विहार और पंजाबी बाग जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में नमी और हवा की धीमी गति के कारण प्रदूषक कण वायुमंडल में फंसे हुए हैं, जिससे स्थिति और गंभीर बनती जा रही है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण पहले से ही लागू है। इस चरण के तहत निर्माण कार्यों पर रोक, स्कूलों की ऑनलाइन कक्षाएं और ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाए गए हैं। इसके बावजूद हवा में सुधार नहीं दिख रहा। दिल्ली सरकार ने केंद्र से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) की अनुमति मांगी है ताकि हवा में मौजूद प्रदूषक कणों को नीचे गिराया जा सके।
चिकित्सक लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि इस स्तर का प्रदूषण बच्चों, बुजुर्गों और फेफड़ों के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। डॉक्टरों ने लोगों से बाहर निकलते समय N95 मास्क पहनने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि स्टबल बर्निंग (पराली जलाना) और वाहन उत्सर्जन अभी भी प्रदूषण के बड़े कारण बने हुए हैं।
दिल्लीवासियों को फिलहाल राहत के आसार नहीं दिख रहे। मौसम विभाग के अनुसार, हवा की गति अगले दो दिनों तक धीमी रहेगी, जिससे AQI में गिरावट की संभावना बहुत कम है। राजधानी एक बार फिर “गैस चैंबर” में तब्दील हो चुकी है और प्रशासन के साथ नागरिकों की जिम्मेदारी बनती है कि मिलकर इस संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं।