चीन ने एक बार फिर वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अपनी बढ़त साबित कर दी है। 15 नवंबर 2025 को आधिकारिक रूप से घोषणा की गई कि देश ने 6G नेटवर्क के ट्रायल के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह उपलब्धि न केवल चीन की तकनीकी महत्वाकांक्षाओं को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक दूरसंचार उद्योग में भी नए युग की शुरुआत का संकेत देती है।
6G को भविष्य का ‘अल्ट्रा-फास्ट’ नेटवर्क माना जा रहा है, जिसकी स्पीड 5G से कई गुना अधिक होगी। विशेषज्ञों के अनुसार, 6G की डाउनलोड स्पीड 1 टेराबाइट प्रति सेकंड तक पहुंच सकती है, जो आधुनिक डेटा उपयोग को पूरी तरह नया आयाम देगी। चीन की यह प्रगति इसलिए भी अहम है क्योंकि दुनिया भर के कई देश अभी तक 5G की पूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं कर पाए हैं, जबकि चीन अगली पीढ़ी की तकनीक का परीक्षण कर रहा है।
पहले चरण के ट्रायल में चीन ने अल्ट्रा-लो लेटेंसी, हाई-फ्रीक्वेंसी डेटा ट्रांसमिशन और स्पेस-टू-एर्थ कम्युनिकेशन जैसी तकनीकों का परीक्षण किया। जानकारी के मुताबिक, इस चरण के दौरान जमीनी स्टेशन और लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट के बीच हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर का भी सफल परीक्षण किया गया। यह तकनीक भविष्य में दूरस्थ इलाकों और समुद्री क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
दूरसंचार विशेषज्ञों का कहना है कि 6G की मदद से मेटावर्स, होलोग्राफिक कम्युनिकेशन, एआई-आधारित ट्रांसमिशन और रियल टाइम रोबोट कंट्रोल जैसी उच्च-स्तरीय तकनीकें आम उपयोग में आ सकेंगी। चीन पहले ही एआई और सेमीकंडक्टर उत्पादन में भारी निवेश कर चुका है, और अब 6G की दिशा में यह प्रगति उसकी वैश्विक रणनीति को और मजबूत बनाती है।
चीन के उद्योग और सूचना तकनीक मंत्रालय (MIIT) ने बताया कि पहले चरण की सफलता के बाद अब देश जल्द ही दूसरे चरण के ट्रायल की शुरुआत करेगा। इसमें व्यावसायिक उपयोग के लिए 6G की क्षमता, सुरक्षा फ्रेमवर्क और बड़े पैमाने पर नेटवर्क के व्यवहार का परीक्षण किया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि चीन 2030 तक 6G को व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराने की दिशा में पूरी तैयारी कर चुका है।
यह उपलब्धि वैश्विक भू-राजनीति पर भी असर डाल सकती है। अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ पहले से ही 6G रिसर्च पर काम कर रहे हैं, लेकिन ट्रायल में चीन की तेजी ने तकनीकी दौड़ में संतुलन बदल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसके प्रभाव को और बढ़ाएगा, खासकर दूरसंचार उपकरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के क्षेत्र में।
चीन की इस कामयाबी से घरेलू उद्योगों में भी उत्साह है। टेक कंपनियाँ, मोबाइल निर्माता और इंटरनेट सर्विस प्रदाता 6G आधारित नए उत्पादों और सेवाओं पर काम शुरू कर चुके हैं। माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में चीन वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत केंद्र बनकर उभरेगा।
कुल मिलाकर, 6G ट्रायल के पहले चरण की सफलता चीन के तकनीकी आत्मविश्वास और वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक है, जो आने वाले समय में दुनिया की डिजिटल संरचना को पूरी तरह बदल सकता है।