दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। शनिवार सुबह कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार दर्ज किया गया, जिसे ‘सीवियर प्लस’ श्रेणी में रखा जाता है। इस जहरीली हवा में सांस लेना बेहद मुश्किल होता जा रहा है और प्रदूषण स्तर बीते कई दिनों से लगातार बढ़ रहा है।
राजधानी के आनंद विहार, वजीरपुर, रोहिणी, पंजाबी बाग, पटपड़गंज और बवाना जैसे इलाकों में AQI 520-560 के बीच दर्ज किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण सामान्य स्तर से कई गुना अधिक पाए गए, जो सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी-बुखार और अस्थमा के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
आईएमडी का कहना है कि हवा की रफ्तार कम होने और नमी बढ़ने से प्रदूषक कण वातावरण में ही जमा हो रहे हैं। इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं भी वायु गुणवत्ता को और खराब कर रही हैं। अलग-अलग मॉनिटरिंग सिस्टम के आंकड़ों के अनुसार, बीते 48 घंटों में दिल्ली-एनसीआर में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 28–32% तक पहुंच गई है।
सरकार ने प्रदूषण को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का सबसे सख्त चरण लागू कर दिया है। इसके तहत निर्माण गतिविधियों, खनन, ट्रकों की एंट्री और डीजल जनरेटर के उपयोग पर रोक लगा दी गई है। स्कूलों को ऑनलाइन मोड अपनाने की सलाह दी गई है, जबकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों को घर से बाहर निकलने पर N-95 मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं।
दिल्ली के कई हिस्सों में दृश्यता भी कम हो गई है। सुबह-शाम घने स्मॉग की परत सड़कों और इमारतों पर साफ दिखाई दे रही है। पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि हवा की दिशा और स्पीड में सुधार नहीं हुआ, तो अगले कुछ दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।
लोगों को जरूरी कार्यों के अलावा बाहर न निकलने, एयर प्यूरीफायर उपयोग करने, पानी अधिक पीने और बच्चों व बुजुर्गों की विशेष देखभाल की सलाह दी गई है।