नेपाल के राजनीतिक परिदृश्य में एक बार फिर महत्वपूर्ण हलचल देखने को मिली है। देश के चुनाव आयोग ने आम चुनाव का आधिकारिक कार्यक्रम जारी कर दिया है, जिसके तहत निर्वाचन प्रक्रिया तीन महीनों से अधिक समय तक चलेगी। आयोग के मुताबिक 20 जनवरी को नामांकन की शुरुआत होगी, जबकि 5 मार्च 2026 को पूरे देश में मतदान कराया जाएगा। इस घोषणा के साथ नेपाल में चुनावी हलचल तेज हो गई है और प्रमुख दल अपनी-अपनी रणनीति पर काम में जुट गए हैं।
चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 25 जनवरी निर्धारित की गई है। इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच 27 जनवरी तक की जाएगी। उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के लिए 30 जनवरी तक का समय मिलेगा। फरवरी माह में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में आचार संहिता लागू रहेगी और राजनीतिक दल अपने प्रचार अभियान को गति देंगे।
नेपाल में इस चुनाव को बेहद निर्णायक माना जा रहा है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से देश राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। गठबंधन सरकारों में लगातार बदलाव, आंतरिक मतभेद और नेतृत्व संघर्ष ने शासन व्यवस्था को कई बार बाधित किया है। ऐसे में नए जनादेश को स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। इससे न सिर्फ सरकार का गठन प्रभावित होगा, बल्कि देश की आर्थिक नीतियों, विदेश नीति और विकास योजनाओं पर भी सीधा असर पड़ेगा।
सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों की नजरें इस चुनाव पर टिकी हैं। वर्तमान गठबंधन सरकार के प्रमुख दलों ने दावा किया है कि वे अपने कामकाज और सुधारों के आधार पर जनता का समर्थन हासिल करेंगे। वहीं, विपक्षी पार्टियां सरकार पर राजनीतिक अस्थिरता, महंगाई, बेरोजगारी और गलत नीतियों का आरोप लगाते हुए बदलाव की मांग कर रही हैं।
नेपाल के ग्रामीण इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम भी तेजी से शुरू किए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदान प्रक्रिया का डिजिटलीकरण और सुरक्षा मानकों को पहले से अधिक मजबूत किया जाएगा। विशेषकर दूर-दराज वाले क्षेत्रों में मतदान कर्मियों की सुरक्षा और सामग्री की आपूर्ति के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव के नतीजे नेपाल की राजनीतिक दिशा तय करेंगे—क्या देश एक स्थिर सरकार की ओर बढ़ेगा या गठबंधन की राजनीति एक बार फिर संतुलन बिगाड़ेगी। नेपाल के पड़ोसी देशों, खासकर भारत और चीन, की नजरें भी इस चुनाव पर टिकी हैं, क्योंकि राजनीतिक बदलाव क्षेत्रीय कूटनीति को प्रभावित कर सकता है।
चुनाव आयोग ने सभी दलों से आचार संहिता का पालन करने और शांतिपूर्ण माहौल में चुनाव कराने की अपील की है। साथ ही मतदाताओं से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी की उम्मीद जताई है।