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लेख

एग्रीटेक स्टार्टअप और डिजिटल कृषि मिशन का विकास

December 06, 2025 07:47 PM

सरकार ने कृषि-तकनीक स्टार्टअप के त्वरित विकास के लिए और कृषि में नई और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सटीक खेती, ड्रोन प्रौद्योगिकी और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में जलवायु-स्मार्ट कृषि को अपनाने हेतु बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जैसे:

  1. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार वर्ष 2018-19 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत "नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास" कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करके और देश में एक इनक्यूबेशन इकोसिस्टम का पोषण करके नवाचार और कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इस विभाग ने इस कार्यक्रम के तहत स्टार्टअप्स के कार्यान्वयन सहायता और इनक्यूबेशन के लिए देश भर से छह नॉलेज पार्टनर्स (केपी) और चौबीस आरकेवीवाई एग्रीबिजनेस इन्क्यूबेटर (आर-एबीआई)  नियुक्त किए हैं।इस कार्यक्रम के तहत, आइडिया/प्री-सीड चरण के लिए, एक चयनित स्टार्ट-अप एक किस्त में अधिकतम पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता के लिए पात्र होगा।  सीड स्टेज के लिए, एक चयनित स्टार्ट-अप चयन और निवेश समिति (एसआईसी) द्वारा दी गई सिफारिश के आधार पर 50% और 50% की दो किस्तों में पच्चीस लाख रुपये की अधिकतम वित्तीय सहायता के लिए पात्र होगा। प्रत्येक केपी अधिकतम 20-25 स्टार्ट-अप का चयन कर सकता है और प्रत्येक आर-एबीआई एक वित्तीय वर्ष में प्री-सीड और सीड चरण की प्रत्येक श्रेणी में अधिकतम 10-12 स्टार्ट-अप का चयन कर सकता है। स्टार्टअप्स को अपने उत्पादों, सेवाओं, व्यावसायिक प्लेटफार्मों आदि को बाजार में लॉन्च करने और व्यावसायिक व्यवहार्यता प्राप्त करने के लिए अपने उत्पादों और संचालन को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक केपी और आर-एबीआई द्वारा 6000 से अधिक कृषि-स्टार्टअप को प्रशिक्षित किया जा चुका है।  वित्त वर्ष 2019-20 से 2025-26 के दौरान इस कार्यक्रम के तहत अब तक 2096 कृषि-स्टार्टअप को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा इन 2096 कृषि-स्टार्टअप को संबंधित केपी और आर-एबीआई को वित्त पोषण के लिए किस्तों में 168.14 करोड़ रूपये की अनुदान सहायता जारी की गई है। स्टार्ट-अप कृषि और संबद्ध क्षेत्रों जैसे सटीक कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्र भी परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं; जिनमें सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), और ड्रोन, कृषि मशीनीकरण, फसलोपरांत, खाद्य प्रौद्योगिकी और मूल्य संवर्धन, आपूर्ति श्रृंखला और कृषि लॉजिस्टिक और कृषि इनपुट तथा अपशिष्ट से संपदा, कृषि और जैविक खेती में हरित ऊर्जा, संबद्ध क्षेत्र आदि शामिल हैं।
  2. एसएमएएम के तहत, कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके), राज्य कृषि विश्वविद्यालय (एसएयू), राज्य और अन्य केन्द्र सरकार के कृषि संस्थानों/विभागों और कृषि कार्यकलापों में लगे हुए भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के तहत संस्थानों द्वारा इसकी खरीद और किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की लागत के 100% की दर से अधिकतम 10 लाख रुपये प्रति ड्रोन तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को किसानों के खेतों पर अपने प्रदर्शनों के लिए किसान ड्रोन की लागत का 75% तक अनुदान प्रदान किया जाता है। किसानों को किराये के आधार पर ड्रोन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए, किसानों की सहकारी समिति, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों के तहत सीएचसी द्वारा ड्रोन की खरीद के लिए 40% की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सीएचसी स्थापित करने वाले कृषि स्नातक प्रति ड्रोन अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक ड्रोन की लागत के 50% की दर से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर ड्रोन की खरीद के लिए, छोटे और सीमांत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्य के किसानों को लागत के 50% की दर से अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक और अन्य किसानों को प्रति ड्रोन 40% की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इसके अतिरिक्त, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों के माध्यम से वर्ष 2014-15 से कृषि मशीनीकरण उप मिशन (एसएमएएम) कार्यान्वित किया जा रहा है। एसएमएएम को अब राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की केंद्रीय प्रायोजित योजना के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य महिला किसानों सहित छोटे और सीमांत किसानों को केंद्र में लाकर और 'कस्टम हायरिंग सेंटर' को बढ़ावा देकर, हाई-टेक और उच्च मूल्य वाले कृषि उपकरणों के लिए केंद्र बनाकर, विभिन्न कृषि उपकरणों का वितरण करके और प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करके 'पहुंच से वंचित लोगों तक पहुंच बनाना है।

सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में बुदनी (मध्य प्रदेश), हिसार (हरियाणा), गारलाडिने (आंध्र प्रदेश) और बिश्वनाथ चरियाली (असम) में चार फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान स्थापित किए हैं। ये संस्थान किसान ड्रोन सहित कृषि मशीनीकरण की नवीनतम तकनीक पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत महिला किसानों/तकनीशियनों/इंजीनियरों/बेरोजगार युवाओं/मशीनरी निर्माताओं आदि सहित किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। 

  1. सरकार ने वर्ष 2023-24 से 2025-26 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 15,000 ड्रोन प्रदान करने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में 'नमो ड्रोन दीदी' को मंजूरी दी है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य बेहतर दक्षता, बढ़ी हुई फसल उपज और संचालन की कम लागत के लिए कृषि में उन्नत तकनीक को बढ़ावा देना और एसएचजी को उनकी आय बढ़ाने और उन्हें आजीविका सहायता प्रदान करने के लिए ड्रोन सेवा प्रदाताओं के रूप में सशक्त बनाना है। अग्रणी फर्टिलाइजर कंपनियों (एलएफसी) ने अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करके वर्ष 2023-24 में एसएचजी की ड्रोन दीदी को 1094 ड्रोन वितरित किए हैं। इन 1094 ड्रोन में से 500 ड्रोन नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत वितरित किए गए हैं।
  2. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग वर्ष 2015-16 से देश में प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) की केन्द्रीय प्रायोजित योजना कार्यान्वित कर रहा है। पीडीएमसी सूक्ष्म सिंचाई, अर्थात् ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है। सूक्ष्म सिंचाई फर्टिगेशन, श्रम व्यय, अन्य इनपुट लागत और किसानों की समग्र आय में वृद्धि के माध्यम से पानी की बचत के साथ-साथ उर्वरक के उपयोग को कम करने में सहायता करती है। सरकार पीडीएमसी के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम की स्थापना के लिए छोटे और सीमांत किसानों हेतु 55% की दर से और अन्य किसानों के लिए 45% की दर से वित्तीय सहायता प्रदान करती है।   
  3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग की परिकल्पना की गई है। तदनुसार, किसानों को योजना के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) और मध्यस्थ नामांकन के लिए आवेदन (एआईडीई) ऐप विकसित किया गया है। किसान पोर्टल और ऐप के माध्यम से अपना बीमा करा सकते हैं और अपने आवेदन, दावों आदि की स्थिति की जांच कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, सामान्य सेवा केन्द्रों (सीएससी) के अंतर्गत ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) को भी किसानों का नामांकन करने और कवरेज सूचना, दावों आदि का प्रसार करने के लिए नियोजित किया गया है। सरकार ने योजना के कार्यान्वयन को सुदृढ़ करने, योजना के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, उपज आंकडे़ प्राप्त करने/फसल काटने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।
  4. सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसमें कृषि के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) जैसे एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली, और देश में एक मजबूत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के लिए एक व्यापक मृदा उर्वरता और प्रोफाइल मैप के निर्माण की परिकल्पना की गई है। इसके परिणामस्वरूप नवाचारी किसान-केंद्रित डिजिटल समाधानों को बढ़ावा मिलेगा और सभी किसानों को समय पर फसल से संबंधित विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध होगी। एग्रीस्टैक डीपीआई में कृषि क्षेत्र से जुड़ी तीन मूलभूत रजिस्ट्रियां या डेटाबेस, यानी भू-संदर्भित गांव के नक्शे, फसल बोई गई रजिस्ट्री और किसान रजिस्ट्री शामिल हैं, जो सभी राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा बनाई और रखी जाती है। सरकार इस डीपीआई को लागू करने के लिए सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
  5. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (एमएनसीएफसी) भी कृषि अनुप्रयोगों के लिए अंतरिक्ष और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
  • अंतरिक्ष, कृषि-मौसम विज्ञान और भूमि-आधारित अवलोकन (एफएएसएएल) परियोजना का उपयोग करके कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान: एमएनसीएफसी उपग्रह रिमोट सेंसिंग (ऑप्टिकल और माइक्रोवेव डेटा) का उपयोग करके प्रमुख फसलों के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर पूर्व-फसल उत्पादन पूर्वानुमान हेतु इस परियोजना का संचालन करता है। यह उपग्रह-आधारित फसल निगरानी का एक मुख्य हिस्सा है।
  • सूखे की निगरानी: एमएनसीएफसी समय पर आपदा प्रतिक्रिया के लिए उपग्रह से प्राप्त संकेतकों का उपयोग करके सक्रिय रूप से सूखे का आकलन और निगरानी की सुविधा प्रदान करता है।
  • फसल बीमा गतिविधियों को सहायता (पीएमएफबीवाई): एमएनसीएफसी प्रौद्योगिकी (वाईएस-टेक), फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) की योजना और उपज और क्षेत्र विसंगतियों के लिए विवादों को संबोधित करने के लिए उपज अनुमान प्रणाली के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में सहयोग करता है।

 

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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