दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए एक सुकून भरी खबर सामने आई है। लंबे समय से दमघोंटू हवा और कड़े प्रतिबंधों की मार झेल रहे क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में आंशिक सुधार दर्ज किया गया है। इसी के मद्देनज़र वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने GRAP-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का चौथा चरण) को हटाने का फैसला किया है। इससे आम नागरिकों के साथ-साथ उद्योग, निर्माण क्षेत्र और परिवहन व्यवस्था को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ था, जिसके कारण GRAP-4 लागू किया गया था। इस चरण के तहत निर्माण कार्यों पर लगभग पूर्ण रोक, डीजल से चलने वाले पुराने वाहनों पर सख्ती, औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध और ट्रकों की एंट्री सीमित कर दी गई थी। हालांकि हालिया दिनों में हवा की रफ्तार बढ़ने, तापमान में बदलाव और प्रदूषण फैलाने वाले कारकों में कुछ कमी आने से AQI में सुधार दर्ज किया गया है। कई इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘खराब’ श्रेणी में पहुंची है।
GRAP-4 हटने के बाद अब निर्माण और तोड़फोड़ से जुड़े कार्य सशर्त रूप से दोबारा शुरू किए जा सकेंगे। इससे रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और दिहाड़ी मजदूरों को राहत मिलेगी, जिनकी आजीविका इन पाबंदियों के कारण प्रभावित हो रही थी। औद्योगिक इकाइयों को भी चरणबद्ध तरीके से संचालन की अनुमति मिलने की संभावना है, हालांकि उन्हें प्रदूषण नियंत्रण मानकों का सख्ती से पालन करना होगा। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी कुछ ढील दी गई है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला को गति मिलने की उम्मीद है।
हालांकि विशेषज्ञों और प्रशासन ने साफ किया है कि GRAP-4 हटने का मतलब यह नहीं है कि प्रदूषण का खतरा पूरी तरह टल गया है। GRAP-2 और GRAP-3 के कुछ प्रतिबंध अब भी लागू रह सकते हैं। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे निजी वाहनों का सीमित उपयोग करें, सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दें और कचरा या पराली जलाने जैसी गतिविधियों से बचें।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुधार अस्थायी भी हो सकता है, क्योंकि सर्दियों के मौसम में मौसमीय परिस्थितियां तेजी से बदलती हैं। ऐसे में यदि प्रदूषण का स्तर फिर बढ़ता है तो सख्त कदम दोबारा उठाए जा सकते हैं। फिलहाल GRAP-4 हटने से दिल्ली-एनसीआर को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालिक और ठोस नीतियों की जरूरत अब भी बनी हुई है।