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उत्तर प्रदेश

भारतीय रिजर्व बैंक की अद्यावधिक प्रतिदर्श योजना के अनुसार राज्य सरकार द्वारा गारण्टी मोचन निधि की स्थापना किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

November 22, 2024 08:52 PM
मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

लखनऊ, 22 नवम्बर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए :-

भारतीय रिजर्व बैंक की अद्यावधिक प्रतिदर्श योजना के अनुसार राज्य सरकार द्वारा गारण्टी मोचन निधि की स्थापना किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत


मंत्रिपरिषद ने भारतीय रिजर्व बैंक की अद्यावधिक प्रतिदर्श योजना के अनुसार राज्य सरकार द्वारा गारण्टी मोचन निधि की स्थापना किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। गारण्टी मोचन निधि की स्थापना सम्बन्धी अधिसूचना के हिन्दी एवं अंग्रेजी आलेख्य को भी अनुमोदित करते हुए मंत्रिपरिषद ने अधिसूचना में संशोधन/परिवर्तन की आवश्यकता होने पर आवश्यक सुसंगत संशोधन/परिवर्तन हेतु वित्त मंत्री को अधिकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार द्वारा राज्यस्तरीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/निगमों/सहकारी संस्थाओं आदि के पक्ष में निर्गत प्रत्याभूति से उद्भूत होने वाले अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए ‘प्रत्याभूति मोचन निधि’ (गारण्टी रिडम्प्शन फण्ड) सृजित की जायेगी।
इस निधि का उपयोग राज्यस्तरीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/निगमों/ सहकारी संस्थाओं आदि द्वारा निर्गत बंध पत्रों एवं अन्य ऋणों के सम्बन्ध में सरकार द्वारा निर्गत प्रत्याभूतियां, जो हितधारकों द्वारा निवेदित की गयी हों, से उद्भूत होने वाली भुगतान प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
गारण्टी मोचन निधि की स्थापना से निवेशकों के मध्य एक सार्थक संदेश जायेगा। इससे विभिन्न संस्थाओं को शासकीय प्रत्याभूति के सापेक्ष अपेक्षाकृत कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध हो सकेंगे। किसी ऋणी संस्था द्वारा ऋण की अदायगी में चूक किये जाने पर निधि में संचित धनराशि से ऋण की अदायगी की जा सकेगी तथा राज्य सरकार की समेकित निधि पर बोझ नहीं आयेगा। निधि में जमा होने वाली धनराशि के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राज्य सरकार को विशेष आहरण सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।

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उच्च शिक्षा विभाग के अन्तर्गत मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अन्तर्गत/राज्य सेक्टर के अन्तर्गत नवनिर्मित/निर्माणाधीन 71 महाविद्यालयां को राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित करने का प्रस्ताव अनुमोदित


मंत्रिपरिषद ने उच्च शिक्षा विभाग के अन्तर्गत मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अन्तर्गत/राज्य सेक्टर के अन्तर्गत नवनिर्मित/निर्माणाधीन 71 महाविद्यालयां को राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन वर्तमान में 171 राजकीय महाविद्यालय संचालित हैं। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री जी की घोषणान्तर्गत/राज्य सेक्टर के अन्तर्गत नवनिर्मित/निर्माणाधीन कुल 71 अन्य महाविद्यालयों में से 17 महाविद्यालय पूर्व में मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के क्रम में संघटक महाविद्यालय के रूप में संचालित हैं।
ऐसे महाविद्यालय जिन पर विश्वविद्यालयों का पूर्ण प्रशासकीय, वित्तीय एवं शैक्षणिक नियंत्रण हो, संघटक महाविद्यालय (कॉन्स्टिटुएंट कॉलेज) कहलाते हैं। सम्बन्धित राज्य विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित कार्यक्रमों के अतिरिक्त यथावश्यक अपने संसाधनों का उपयोग करते हुए उक्त संघटक महाविद्यालयों को संचालित करते हैं। इन संघटक महाविद्यालयों में नियुक्त शिक्षक/शिक्षणेतर कर्मचारी राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं होते हैं।
विश्वविद्यालयों द्वारा संसाधनों के अभाव में संघटक महाविद्यालयों के संचालन में कठिनाई व्यक्त की गयी है। उक्त के दृष्टिगत वहनीय, मूल्यपरक एवं गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री जी की घोषणान्तर्गत/राज्य सेक्टर के अन्तर्गत नवनिर्मित/निर्माणाधीन कुल 71 महाविद्यालयों (वर्तमान में संचालित 17 संघटक महाविद्यालयों सहित) को राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित किया जाना है।
इन महाविद्यालयों को राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित करने से प्रदेश में उच्च शिक्षा की अभिगम्यता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इससे प्रदेश के छात्र-छात्राओं के लिए उपलब्ध संस्थानों, पाठ्यक्रमों और सीटों की संख्या बढ़ेगी, जिससे वे प्रदेश में ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
इस निर्णय से प्रदेश में लगभग 8.26 लाख जनसंख्या पर 01 राजकीय महाविद्यालय संचालित होगा। इससे प्रदेश के छात्र-छात्राओं को वहनीय, मूल्यपरक एवं गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त होगी, तथा वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (जी0ई0आर0) 50 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करना सुगम होगा।
प्रस्ताव के अनुमोदनोपरान्त (कला संकाय, वाणिज्य संकाय एवं विज्ञान संकाय को प्रारम्भ करने की स्थिति में) प्राचार्य के 71 पद, सहायक आचार्य के कुल 1136 पद, तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के कुल 639 पद एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के कुल 710 पद सृजित किये जाएंगे, जिससे प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत नये शहरों का समग्र एवं समुचित विकास योजना के अन्तर्गत 09 विकास प्राधिकरणों/उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद को धनराशि स्वीकृत करने एवं व्यय के प्रस्ताव के सम्बन्ध में


मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत 09 अभिकरणों द्वारा प्रस्तावित योजनाओं में भूमि अर्जन पर कुल सम्भावित व्यय के सापेक्ष शासन द्वारा सीड कैपिटल के रूप में 4,164.16 करोड़ रुपये अनुमोदित करते हुए उसके सापेक्ष वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रथम किश्त के रूप में 1285 करोड़ रुपये निम्नलिखित शर्तां के अधीन स्वीकृत करने तथा व्यय करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
1. विकास प्राधिकरणों/उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद द्वारा मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत नये शहरों के समग्र एवं समुचित विकास के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या-39/2023/384/आठ-1-2023-1450/ 2022टी0सी0-1, दिनांक 06 अप्रैल, 2023 में उल्लिखित दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
2. विकास प्राधिकरणों/उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद द्वारा भूमि क्रय के सम्बन्ध में शासन द्वारा समय-समय पर निर्गत शासनादेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
3. विकास प्राधिकरणों/उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद को अवमुक्त सीड कैपिटल की द्वितीय किश्त की धनराशि तभी अवमुक्त की जाएगी, जब सम्बन्धित अभिकरणों द्वारा इस आशय का प्रमाणपत्र दिया जाएगा कि उनके द्वारा सीड कैपिटल की प्रथम किश्त के रूप में अवमुक्त धनराशि का 75 प्रतिशत व्यय करते हुए प्राधिकरण/उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद द्वारा स्वयं के स्रोतों से समतुल्य मैचिंग धनराशि की व्यवस्था करते हुए भूमि क्रय में व्यय कर ली गयी है।
4. विकास प्राधिकरणों/उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद द्वारा प्रस्तावित टाउनशिप में अध्यासियों के सापेक्ष पर्याप्त पेयजल एवं भूगर्भ जल संरक्षण की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने इन परियोजनाओं में किसी संशोधन/परिमार्जन की आवश्यकता होने पर उसके लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
उल्लेखनीय है कि नगरीय क्षेत्रों में सुनियोजित व सुव्यवस्थित विकास के साथ-साथ नगरीय जनसंख्या को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराये जाने हेतु मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नये शहर प्रोत्साहन योजना लागू है। योजना के अन्तर्गत भूमि अर्जन में आने वाले व्यय का 50 प्रतिशत तक राज्य सरकार द्वारा सीड कैपिटल के रूप में अधिकतम 20 वर्ष की अवधि के लिए दिये जाने का प्राविधान है। नये शहरों का समग्र एवं समुचित विकास मद में वित्तीय वर्ष 2024-25 में धनराशि 3,000 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था उपलब्ध है।

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400/220 के0वी0 2x500 एम0वी0ए0 उपकेन्द्र चित्रकूट एवं सम्बन्धित लाइनों के निर्माण की कुल लागत 619.90 करोड़ रु0 अनुमोदित


मंत्रिपरिषद ने 400/220 के0वी0 2x500 एम0वी0ए0 उपकेन्द्र चित्रकूट एवं सम्बन्धित लाइनों के निर्माण की जी0एस0टी0 सहित कुल लागत 619.90 करोड़ रुपये की 33 प्रतिशत धनराशि भारत सरकार द्वारा पूंजीगत अनुदान के रूप में प्राप्त किये जाने, 47 प्रतिशत धनराशि मै0 के0एफ0डब्ल्यू0, जर्मनी द्वारा ऋण के माध्यम से उपलब्ध कराये जाने तथा 20 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार द्वारा अंश पूंजी के विनियोजन के माध्यम से सुनिश्चित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन हेतु 4000 मेगावॉट क्षमता के सोलर पार्क/संयंत्र स्थापित किया जाना है एवं सौर परियोजना से सुगमतापूर्वक विद्युत निकासी हेतु आवश्यक पारेषण तंत्र का निर्माण नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार की ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर-।। योजना के अन्तर्गत किया जाना है।
जनपद चित्रकूट, बांदा एवं निकटवर्ती क्षेत्रों को सुदृढ़ विद्युत आपूर्ति करने हेतु तथा प्रदेश में स्थापित की जा रही 800 मेगावॉट सौर परियोजना से ऊर्जा की निकासी सुनिश्चित करने हेतु 400/220 के0वी0 उपकेन्द्र चित्रकूट (ए0आई0एस0) एवं तत्सम्बन्धी लाइनों का निर्माण आवश्यक है। उपकेन्द्र की निर्माण अवधि 24 माह होगी। इस उपकेन्द्र की पूर्णता के उपरान्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनपद चित्रकूट, बांदा एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में समुचित ऊर्जा उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिसके फलस्वरूप औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
उपकेन्द्र एवं तत्सम्बन्धी लाइनों के निर्माण से जनपद चित्रकूट, बांदा के क्षेत्रों को पोषित करने वाले 220 के0वी0 उपकेन्द्रों की विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा। प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनपद चित्रकूट एवं बांदा की विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

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सेक्टर-51 (नोएडा) स्टेशन से लेकर ग्रेटर नोएडा नॉलेज पार्क V (ग्रेटर नोएडा) तक 17.435 कि0मी0 लम्बाई के एक्वा लाइन मेट्रो कॉरिडोर के विस्तार का डी0पी0आर0 अनुमोदित


मंत्रिपरिषद ने सेक्टर-51 (नोएडा) स्टेशन से लेकर ग्रेटर नोएडा नॉलेज पार्क V (ग्रेटर नोएडा) तक 17.435 कि0मी0 लम्बाई के एक्वा लाइन मेट्रो कॉरिडोर के प्रस्तावित विस्तार के सम्बन्ध में प्रस्तुत डी0पी0आर0 को अनुमोदित कर दिया है।
इस परियोजना की लागत 2991.60 करोड़ रुपये है। परियोजना हेतु राज्य सरकार की अंशपूंजी के सापेक्ष वहन किए जाने वाला व्ययभार, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा अपने-अपने क्षेत्र की लम्बाई के अनुपात में किये जाने का प्रस्ताव है।
परियोजना के क्रियान्वयन से यातायात सुगम होगा तथा प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

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निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विवेक विश्वविद्यालय, बिजनौर की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में


मंत्रिपरिषद ने निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विवेक विश्वविद्यालय, बिजनौर की स्थापना किये जाने के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 में संशोधन करने के लिए उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (दसवां संशोधन) अध्यादेश 2024 को प्रख्यापित कराये जाने एवं तत्पश्चात संचालन प्राधिकार पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
ज्ञातव्य है कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में प्रायोजक संस्था उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-3 में उल्लिखित शर्तां और वचनबद्धताओं की पूर्ति कर ली गयी है। अतः विवेक विश्वविद्यालय, बिजनौर का नाम उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा-7, उपधारा(2) के अन्तर्गत अधिनियम के संशोधन के माध्यम से उपधारा(3) में वर्णित अनुसूचि-2 में उल्लिखित अन्तिम विश्वविद्यालय के नीचे अगले क्रमांक पर रखे जाने का प्रस्ताव है। तद्नुसार उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (दसवां संशोधन) अध्यादेश 2024 को प्रख्यापित किये जाने तथा उसके प्रतिस्थानी विधेयक पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन प्राप्त कर उसे राज्य विधानमण्डल में पुरःस्थापित/पारित कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गयी है।
उल्लेखनीय है कि प्रायोजक संस्था को विवेक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बिजनौर के नाम से आशय पत्र निर्गत किया गया है। प्रायोजक संस्था द्वारा अपने पत्र दिनांक 05 सितम्बर, 2024 के साथ संलग्न शपथ पत्र के माध्यम से विवेक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बिजनौर का नाम परिवर्तित कर विवेक विश्वविद्यालय, बिजनौर किये जाने का अनुरोध किया गया है। तद्नुसार आशय पत्र में उल्लिखित विवेक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बिजनौर का नाम संशोधित कर विवेक विश्वविद्यालय, बिजनौर किये जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी है।

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