सुक्खू ने कहा कि गांव वाले अपने लोकल हैं। हम खाते नहीं, फिर भी मुझे दे रहे थे। पहाड़ के जीवन में नॉन वेज भोजन है। इससे ग्रामीणों की छवि खराब हो रही है। इंदौरा में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जो हुआ ही नहीं, उसके बारे में वह क्या कहें? यह जंगली मुर्गा नहीं था, यह उनकी आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि वह मांसाहारी भोजन नहीं खाते। यह दुकान से खरीदा हुआ मुर्गा नहीं था, बल्कि उनके गांव का देसी मुर्गा था। वे वहां खाने नहीं गए थे, बल्कि लोगों की समस्याएं सुनने गए थे। भाजपा के पास कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है, इसलिए वे इस तरह के विचित्र मुद्दे उठा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सीएम के टिक्कर में रात्रिभोज कार्यक्रम का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'जनता के घरद्वार जाकर लोगों की समस्याओं के निराकरण करने की हमारी योजना जनमंच के फुलके जिन्हे खल रहे थे, वह आज गांव-गांव जाकर पिकनिक मना रहे हैं और क्या-क्या कर रहे हैं जनता सब देख रही है। संरक्षित प्रजाति का जंगली मुर्गा खाने वालों को जेल होती है, जुर्माना होता है लेकिन मुख्यमंत्री मुर्गा खिलाने का पहले मेन्यू छपवाते हैं और फिर अपने मंत्रियों को अपने सामने चटखारे ले लेकर खिलाते हैं। क्या यही व्यवस्था परिवर्तन है।'
12 घंटे में ही मुख्यमंत्री ने बदल दिया मुर्गा : जयरामपूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री किस दर्जे का झूठ बोलते हैं। उन्होंने कहा कि यह आज प्रदेश के लोगों ने फिर देख लिया। रात में जिसे जंगली मुर्गा बोलकर मुख्यमंत्री अपने सहयोगी और मंत्रियों को चटखारे ले लेकर खिला रहे थे, सुबह वही जंगली मुर्गा देसी मुर्गा बन गया। मुख्यमंत्री जो प्रदेश की संवैधानिक पर पर बैठता है और प्रदेश का संरक्षक होता है, उसकी ओर से इस तरह का बर्ताव करना और भी शर्मनाक है। कुपवी में शुक्रवार की रात में जो हुआ, उसे लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से पूरी दुनिया ने देखा। ठाकुर ने कहा कि खाना देने के दौरान मुख्यमंत्री को बताया जा रहा है कि जंगली मुर्गा है तो वह कहते हैं कि जंगली मुर्गा कहीं बनाया जाता है। उसके बाद वह पूछ–पूछकर अपने मंत्रियों और सहयोगियों को सर्व करने के लिए कहते हैं। अगले दिन जब यह मुद्दा बनता है और लोगों को पता चलता है की सरकारी संरक्षण में संरक्षित जंगली मुर्गा सीएम के कार्यक्रम में परोसा गया है तो मुख्यमंत्री गैर जिम्मेदाराना बातें करते हैं और सही जवाब देने की बजाय झूठ बोलते हैं। उन्हें समझना चाहिए की प्रदेश के लोग बहुत समझदार हैं और उन्हें इस तरह के झूठ बोलकर बार-बार बरगलाया नहीं जा सकता है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कुपवी में जो कुछ हुआ, वह सरकार के संरक्षण में हुआ। भोजन के पहले ही मीडिया कर्मियों को मुख्यमंत्री और उनके लोगों को परोसे जाने वाले भोजन के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी। सीएम के एक दिन पहले ही चौपाल ले जाएंगे। मीडिया कर्मियों को वह मेनू व्हाट्सएप और प्रिंट कागज के माध्यम से दिया गया था। लोगों की मानें तो पत्रकारों की ओर से भी जंगली मुर्गे को मेन्यू में शामिल करने पर सवाल उठाए गए थे लेकिन सत्ता का नशा जब दिमाग पर चढ़ता है तो लोगों को बातें समझ नहीं आती हैं। इसके बाद भी जंगली मुर्गा परोसा गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जंगली मुर्गे की सभी प्रजातियां वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 और वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन अमेंडमेंट एक्ट 2022 के तहत ’शेड्यूल्ड वन’ में रखी गई हैं। ’शेड्यूल वन’ में वही प्रजातियां रखी जाती हैं जो हाईली एंडेंजर्ड होती हैं और जिनका शिकार अथवा अन्य किसी प्रकार से वध अपराधिक कृत्य माना जाता है और उसमें सजा का प्रावधान है।
चेतन बरागटा और कर्ण नंदा ने भी साधा निशाना भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और सोशल मीडिया विभाग प्रभारी चेतन बरागटा ने जंगली मुर्गा प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री का जो दौरा है, वह चौपाल विधानसभा क्षेत्र में हुआ। वहां पर टिक्कर में उनको रात्रि भोज में जंगली मुर्गा परोसा गया और वह जंगली मुर्गा सरकार की ओर से प्रकाशित किए गए मेन्यू पर भी शामिल किया गया। यह साफ तौर पर गैर कानूनी है। चेतन ने कहा की जंगली मुर्गा एक संरक्षित श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसमें भी साफ दिख रहा है कि मुख्यमंत्री गवर्नमेंट ऑफिशियल और सीएम के साथ मंत्री हैं, उनको भी वे प्रेरित कर रहे हैं कि वे जंगली मुर्गे को खाएं। यह नैतिकता का भी उल्लंघन है। हिमाचल प्रदेश देवभूमि है यहां जंगली जानवरों के साथ पशु पक्षियों को भी आदर समान दिया जाता है और इस प्रकरण से साफ झलकता है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार हिमाचल प्रदेश में वह कितनी गंभीर है। चेतन ने कहा कि मुख्यमंत्री मीडिया के सामने आएं और जो यह पूरा प्रकरण हुआ है, उस पर देवभूमि हिमाचल की जनता से माफी मांगें और जो लोग इसमें शामिल हैं, उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
भाजपा के मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, जो 2022 में संशोधित हुआ था और इसके अंतर्गत जंगली मुर्गा शेड्यूल कैटेगरी बर्ड है। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ही स्वयं जंगली मुर्गे को मारने की बातें करते हैं, उनको खाने की बातें करते हैं तो वह क्या प्रदेश में शिकार को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। जंगली मुर्गा हिमाचल प्रदेश में 3000 फुट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। यह प्रजाति कानूनी ताैर पर संरक्षित है और इसके शिकार करने पर दंडनीय अपराध है।
मामले पर मुख्यमंत्री ने ये कहा