लखनऊ, 13 मार्च 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत आयोजित संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने इस आयोजन के लिए नगर निगम गोरखपुर और अन्य संस्थाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि स्वच्छ वायु के मुद्दे पर सामूहिक रूप से समाधान खोजने की दिशा में यह महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि प्रकृति सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है, लेकिन लालच को पूरा नहीं कर सकती।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके तहत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले स्ट्रीट लाइट के रूप में हैलोजन बल्बों का उपयोग किया जाता था, जिससे अधिक ऊर्जा खर्च होती थी और कार्बन उत्सर्जन भी अधिक था। वर्ष 2017 में राज्य सरकार ने 16 लाख हैलोजन लाइट्स को हटाकर एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगवाईं, जिससे नगर निकायों को हर साल लगभग 1,000 करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
उन्होंने गोरखपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में हुए सुधार का उल्लेख किया और कहा कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के लिए केवल दिल्लीवासी ही नहीं, बल्कि हम सभी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है और मिट्टी के बर्तनों को प्रोत्साहित करने के लिए कुम्हारों को इलेक्ट्रिक और सोलर चाक उपलब्ध कराए हैं, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने कई नवाचार किए हैं। उन्होंने बताया कि पहले एनजीटी द्वारा गोरखपुर की राप्ती नदी में प्रदूषण को लेकर जुर्माना लगाया जाता था, लेकिन अब नगर निगम द्वारा अपनाई गई देसी पद्धति से नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इस तकनीक के माध्यम से जल का बीओडी स्तर 350 से घटकर 8-10 तक आ गया है। इससे जहां एसटीपी निर्माण पर 110 करोड़ रुपये की लागत बची, वहीं इसके संचालन का खर्च भी बहुत कम हुआ है।
मुख्यमंत्री ने गोरखपुर की भौगोलिक विशेषताओं की चर्चा करते हुए कहा कि यहां पर्याप्त वन क्षेत्र और जलाशय मौजूद हैं, जिनका संरक्षण और संवर्धन किया जाना चाहिए। उन्होंने ‘सिटी फॉरेस्ट’ विकसित करने और मियावाकी तकनीक को अपनाने पर जोर दिया, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वृक्षारोपण को भी प्राथमिकता दी है और पिछले आठ वर्षों में 210 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं। इस कार्य की निगरानी के लिए फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून और छत्तीसगढ़ की एक यूनिवर्सिटी को थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है।
स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन दिए गए हैं, जिससे पारंपरिक चूल्हों के कारण होने वाले कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। साथ ही, पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए बायोगैस और एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत भी मिला है।
मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि गोरखपुर सहित सभी शहरों में वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) को अपनाना चाहिए। उन्होंने महाकुंभ-2025 की सफलता का श्रेय गंगा और यमुना में जल प्रवाह की निरंतरता को दिया और कहा कि नदियों को स्वच्छ रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है और अब तक 6,000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा चुका है। अयोध्या को देश की पहली ‘सोलर सिटी’ के रूप में विकसित किया गया है, जहां स्ट्रीट लाइट सहित अन्य सुविधाएं सौर ऊर्जा से संचालित होती हैं। इसी तरह, प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों को सोलर सिटी में परिवर्तित करने की योजना बनाई जा रही है।
इस संगोष्ठी में डब्ल्यूआरआई के प्रतिनिधि कुमार स्वामी, एनसीएपी कार्यक्रम के विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत भार्गव, गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव सहित अन्य गणमान्य नागरिक, विषय विशेषज्ञ, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।