भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां 2025 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की संयुक्त नीतियों और कार्यशैली के खिलाफ यूरोप, एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका ही नहीं बल्कि अब अमेरिका में भी पुरजोर विरोध शुरू हो चुका है। अमेरिका में लोग कहने लगे हैं कि इन दोनों प्रभावशाली शख्सियतों की नीतियां और कार्यशैली लोकतंत्र, मानवाधिकार और पर्यावरण के लिए खतरा बन चुकी है यही वजह है कि लोग अब इनके खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। आइये समझते हैं कि अखिर इन दोनों नेताओं ने एसा क्या कर दिया जिससे पूरा विश्व क्रोधित हो चला है। एलन मस्क को राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा सरकारी दक्षता विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया, जिससे उनके कॉर्पोरेट हितों और सरकारी निर्णयों के बीच टकराव के आरोप लगे। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के आयातों पर भारी शुल्क लगाकर वैश्विक व्यापारिक संबंधों को चुनौती दी। इससे कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुईं। एलन मस्क की कंपनियों – जैसे एक्स (पूर्व ट्विटर), स्टारलिंक और टेस्ला – को लेकर गोपनीयता, निगरानी और श्रमिक अधिकारों के उल्लंघन के आरोप सामने आए। बर्लिन में प्रदर्शनकारियों ने “पीपुल आवर प्राफिट” और “स्टाप मस्क आउटोक्रेसी” जैसे नारों के साथ मार्च निकाला। वहां की ग्रीन पार्टी ने ट्रंप-मस्क गठजोड़ को “लोकतंत्र के लिए खतरा” करार दिया। पेरिस में छात्रों ने विरोध रैली निकाली, जहां उन्होंने एलन मस्क पर “प्रौद्योगिकी तानाशाह” होने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि “डिजिटल दुनिया को एक अरबपति की मर्जी पर नहीं छोड़ा जा सकता।” भारत के तकनीकी हब बेंगलुरु में सैकड़ों आईटी पेशेवरों ने मस्क के डेटा निगरानी मॉडल और ट्रंप की संरक्षणवादी नीति के खिलाफ मार्च निकाला। दिल्ली में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अमेरिका की विदेश नीति की आलोचना की। चीन ने ट्रंप की आयात नीति और मस्क की स्टारलिं गतिविधियों को लेकर राजनयिक विरोध दर्ज कराया। उन्होंने “आर्थिक युद्ध” की चेतावनी दी। जापान के ओसाका और टोक्यो में पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने मस्क की कंपनियों पर प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन बढ़ाने के आरोप लगाए। अफ्रीका के कई देशों, खासकर कांगो, नाइजीरिया और घाना में लोगों ने मस्क की बैटरी कंपनियों द्वारा किए जा रहे खनन कार्यों का विरोध किया। उन्हें “नव-उपनिवेशवादी” कहा गया। ब्राज़ील और अर्जेंटीना में वामपंथी दलों और ट्रेड यूनियनों ने अमेरिका की नव-उदारवादी नीतियों और एलन मस्क के वैश्विक प्रभाव का विरोध करते हुए रैलियां कीं। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि अमेरिका अपने पूंजीपति वर्ग के जरिए पूरे दक्षिणी गोलार्ध पर नियंत्रण चाहता है। ऑस्ट्रेलिया में मस्क की स्टारलिंक परियोजनाओं और टेस्ला बैटरी फैक्ट्रियों को लेकर पर्यावरणविदों ने धरना प्रदर्शन किया। वहीं, न्यूजीलैंड में एलन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निगरानी और सेंसरशिप के खिलाफ विरोध हुआ।संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने बिना नाम लिए चेताया कि “जब निजी शक्तियां सार्वजनिक नीति तय करने लगें, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है।” यूरोपीय यूनियन ने अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों को “वैश्विक व्यापार के लिए नुकसानदेह” बताया। साथ ही स्टारलिंक जैसी परियोजनाओं पर निगरानी बढ़ाने की बात कही। इतना ही नहीं अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति एलन मस्क के खिलाफ अमेरिका में भी उबाल देखने को मिल रहा है। लोग सड़कों पर उतर चुके हैं। देशभर में "हैंड्स ऑफ" नामक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ट्रंप और मस्क की नीतियां, जनता के एक बड़े वर्ग के बीच असंतोष और चिंता का कारण बन रही हैं। लोगों का आरोप है कि एलन मस्क की कंपनियों को कई सरकारी परियोजनाएं सौंपी गईं हैं। जिससे "हितों के टकराव" की स्थिति उत्पन्न हुई। 5 अप्रैल 2025 को अमेरिका के लगभग 50 से अधिक बड़े शहरों में एक साथ "हैंड्स ऑफ" नाम से राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए। यह आंदोलन अचानक नहीं था, बल्कि महीनों से चल रही नीतिगत असंतोष का परिणाम था।लोगों की मांगें है कि एलन मस्क को प्रशासन से तत्काल हटाया जाए।सभी नई व्यापारिक नीतियों की संसदीय जांच हो।आयात शुल्क वापस लिए जाएं।सरकारी विभागों में कटौती बंद हो। दूसरी ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन विरोध प्रदर्शनों को “वामपंथी प्रोपेगेंडा” करार दिया और कहा कि “देश को व्यवस्थित करने के लिए कठोर कदम उठाने ही होंगे।” दूसरी ओर यह भी सच है कि डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैक्स नीति के चलते शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है और कई दिग्गज कारोबारी इससे प्रभावित हुए हैं।इस सूची में सबसे बड़ा झटका टेस्ला और स्पेसएक्स के प्रमुख एलन मस्क को लगा है, जिनकी संपत्ति में साल 2025 के पहले तीन महीनों में लगभग 135 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है। जानकार मानते हैं कि यह गिरावट मुख्य रूप से ट्रंप सरकार की नई टैरिफ नीति की वजह से हुई, जिसने मस्क की कंपनियों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया। सूत्रों के मुताबिक, टैरिफ के झटके से चिंतित एलन मस्क ने निजी तौर पर राष्ट्रपति ट्रंप से संपर्क किया और नए टैरिफ को वापस लेने की अपील की। हालांकि यह बातचीत आधिकारिक रूप से सामने नहीं आई, लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्क ने व्हाइट हाउस में ट्रंप से निजी बातचीत के दौरान टैरिफ नीति में नरमी बरतने का आग्रह किया था। हालांकि मस्क की इस पहल पर ट्रंप ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप चीन से आयातित उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की योजना पर अडिग हैं। मस्क ने सार्वजनिक रूप से इस नीति की आलोचना की थी, लेकिन उनकी व्यक्तिगत कोशिशें भी इस नीति में बदलाव नहीं ला सकीं। मस्क ने सोशल मीडिया और अपने सार्वजनिक बयानों में अत्यधिक टैरिफ नीति के खिलाफ चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इससे न केवल अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि वैश्विक नवाचार पर भी असर पड़ रहा है।