भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां यह बड़ी शर्म की बात है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ई डी) के मुख्यालय में सोमवार को भीषण आग लग जाये और इससे भी हैरानी का बात यह है कि उस आगजनी की घटना में हाई प्रोफाइल मामलों में फरार व्यवसायी मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और राजनेता छगन भुजबल,अनिल देशमुख तथा कई अन्यों के मामलों के रिकार्ड नष्ट होने की आशंका पैदा हो जाये। पूरे देश में उक्त घटना के बाद जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ई डी) के मुख्यालय की सुरक्षा व्यवस्था और इसके वरिष्ठ अधिकारियों की कारगुजारी पर सवालीय निशान लगने लग गये हैं। जानकारों के मुताबिक उक्त आग इतनी भयंकर थी कि करीब 10 घंटे तक धधकती रही । सूत्रों के मुताबिक़, यह आग दक्षिण मुंबई के बलार्ड एस्टेट में स्थित ईडी के जोन-1 कार्यालय में लगी थी। जोन-1 कार्यालय केसर-ई-हिंद नामक धरोहर भवन की चौथी मंजिल और पहली मंजिल के एक हिस्से में स्थित है। आग चौथी मंजिल के कार्यालय में ही सीमित रही, जहां एजेंसी के अतिरिक्त निदेशक का कार्यालय है। दोनों मंजिलें देर रात के समय बंद थीं। शुरुआती जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, लेकिन पूरे घटनाक्रम को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सुबह करीब 11 बजे ईडी के दफ्तर में धुआं उठता देखा गया। जल्द ही स्थिति बिगड़ती गई और आग ने ऊपरी मंजिलों को अपनी चपेट में ले लिया। कई फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन आग की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि उसे पूरी तरह बुझाने में करीब 10 घंटे का समय लगा। दमकल विभाग ने बताया कि ऑपरेशन में 30 से ज्यादा फायर टेंडरों का इस्तेमाल किया गया। ईडी मुख्यालय में देश के कई चर्चित मामलों से जुड़े दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड रखे गए थे। इनमें प्रवर्तन कार्रवाई, मनी लॉन्ड्रिंग जांच, राजनीतिक नेताओं, बड़े कारोबारी समूहों और फिल्मी हस्तियों के खिलाफ मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण फाइलें शामिल थीं। आशंका जताई जा रही है कि इस आग में कई अनमोल दस्तावेज जलकर राख हो सकते हैं। हालांकि, ईडी अधिकारियों ने दावा किया है कि महत्वपूर्ण डेटा का बैकअप सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है और रिकॉर्ड की बहाली संभव है। फिर भी आग से नुकसान का सटीक आंकलन अभी बाकी है। यह सच है कि उक्त आगजनी में नष्ट रिकार्ड के चलते प्रमुख जांचें प्रभावित हो सकती हैं। इन में महाठगी के मामले-करोड़ों रुपये के बैंक घोटाले, राजनीतिक नेताओं पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच-बॉलीवुड से जुड़े मादक पदार्थ मामले,कॉर्पोरेट कंपनियों के टैक्स चोरी के केस और रियल एस्टेट घोटाले आदि। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मूल दस्तावेज नष्ट हुए हैं तो जांच प्रक्रिया में भारी देरी हो सकती है और कानूनी लड़ाइयों में ईडी की स्थिति कमजोर हो सकती है। दूसरी ओर आग के कारणों की जांच शुरू कर दी गई है। दमकल विभाग ने प्राथमिक तौर पर आग का कारण विद्युत शॉर्ट सर्किट बताया है। हालांकि, दिल्ली पुलिस और फॉरेंसिक टीमें मौके पर जांच कर रही हैं। साथ ही गृह मंत्रालय ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए एक स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, सी सी टी वी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि आग लगने के ठीक पहले की गतिविधियों का विश्लेषण किया जा सके। इससे ईडी कार्यालय की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। आग ने ईडी जैसे संवेदनशील संस्थान में आपदा प्रबंधन और सुरक्षा प्रोटोकॉल की पोल खोल दी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या फायर सेफ्टी ऑडिट समय पर किया गया था?, क्या दस्तावेजों की डिजिटल सुरक्षा पर्याप्त थी?, क्या किसी साजिश से इंकार किया जा सकता है? इन सवालों ने पूरे सिस्टम को कठघरे में ला खड़ा किया है। घटना के तुरंत बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार और ईडी की कार्यशैली पर निशाना साधा। कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि कहीं जानबूझकर तो सबूतों को नष्ट करने की कोशिश नहीं हो रही? कांग्रेस नेता ने कहा, "यह बेहद चिंताजनक है कि जब देश के सबसे संवेदनशील दस्तावेजों की सुरक्षा की बात आती है, तो इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है?" वहीं, भाजपा नेताओं ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि "आग एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना है, और जांच के बाद ही कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है।" ईडी सूत्रों ने दावा किया है कि ज्यादातर केस फाइलें डिजिटल फॉर्मेट में भी मौजूद हैं और नियमित रूप से क्लाउड सर्वर व ऑफसाइट सर्वर पर बैकअप लिया जाता है। ऐसे में महत्वपूर्ण जानकारियों के पूरी तरह खत्म हो जाने की संभावना कम है। फिर भी विशेषज्ञों का कहना है कि मूल दस्तावेजों का कानूनी मूल्य डिजिटल रिकॉर्ड से अलग होता है और कई मामलों में हार्ड कॉपी दस्तावेज अनिवार्य होते हैं।यह भी सच है कि यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकारी जांच एजेंसी में आग लगने की घटना सामने आई हो। इससे पहले भी कई बार विभिन्न मंत्रालयों और जांच एजेंसियों में आग लगने की खबरें आती रही हैं, खासकर जब बड़े मामलों की जांच चल रही हो। 2014 में श्रम मंत्रालय, 2018 में आयकर विभाग। इन घटनाओं ने भी तब कई सवाल उठाए थे। वरिष्ठ वकीलों और जांच एजेंसियों के विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं ना सिर्फ जांच प्रक्रियाओं को बाधित करती हैं बल्कि जनता के भरोसे को भी ठेस पहुंचाती हैं। गृह मंत्रालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी है, जो आग लगने के कारणों, लापरवाही और संभावित साजिश की जांच करेगी। समिति को 15 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है। ईडी सूत्रों के अनुसार: करीब 15% भौतिक दस्तावेजों को नुकसान पहुंचा है। सर्वर रूम को आंशिक क्षति हुई है। कुछ कंप्यूटर सिस्टम जल गए हैं, लेकिन हार्ड डिस्क से डाटा रिकवरी की कोशिश जारी है। प्रभावित फाइलों की सूची तैयार की जा रही है। ईडी ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए कई कदम उठाने की योजना बनाई है: हर छह महीने में फायर सेफ्टी ऑडिट कराना, अधिक सुरक्षित डिजिटल बैकअप व्यवस्था विकसित करना, दस्तावेजों की स्कैनिंग और इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज को अनिवार्य बनाना और कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन का विशेष प्रशिक्षण देना। अंत में कह सकते हैं कि ईडी मुख्यालय में लगी भीषण आग ने जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली और सुरक्षा उपायों की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। जनता की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार और जांच एजेंसियां इस घटना से सबक लेंगी और अपने सिस्टम को और अधिक पारदर्शी व सुरक्षित बनाएंगी?