भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां आधुनिक विमानन इतिहास का बेहद दर्दनाक हादसा – अहमदाबाद एयर इंडिया क्रैश – जिसने देश और दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। आइये सबसे पहले जानते हैं कि आज इस भयावह दुर्घटना के दौरान हुआ क्या। 12 जून 2025 को दोपहर लगभग 1:38 बजे अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (सत्पॉली) से लंदन (गैटविक) की ओर उड़ान भर रहे एयर इंडिया फ्लाइट ए आई 171 (बोइंग 787 8 ड्रीमलाइनर) ने टेक ऑफ के तुरंत बाद मे डे कॉल किया और नियंत्रण खो दिया। याद रहे यह पहला वाणिज्यिक ऑपरेशनल बोईंग 787 का हादसा था, जो परिचालन में 2011 से था। विमान का रजिस्ट्रेशन वी टी-ए एन बी था । इसमें कुल 242 लोग—230 यात्री (जिसमें 11 बच्चे और 2 शिशु) और 12 चालक दल सदस्य—जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई थे। रनवे 23 से टेक ऑफ के तुरंत बाद मात्र 625 फीट की ऊँचाई पर विमान अचानक क्रैश हुआ। फ्लाइट ट्रैकर फ्लाईट राडार 24 ने संकेत खो दिए । विमान अहमदाबाद के मेघानी नगर इलाके में बी जे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के ऊपर आ गिरा, जिसमें भोजन भवन और छात्रावास को भारी क्षति हुई । प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक विमान असामान्य रूप से नीचे उड़ रहा था और इमरजेंसी संकेत देने के बाद कण्ठस्थ कर दिए गए । दुर्घटना स्थल पर धुएँ एवं आग की लपटें उठती रहीं। जलने, ध्वस्त होकर गिरने के कारण बड़े पैमाने पर मलबा फैल गया । पुलिस अधीक्षक जी एस मलिक ने पुष्टि की कि दुर्घटना स्थल से 204 लाशें निकाली जा चुकी हैं। एक अन्य स्रोत ने बताया कि दुर्घटना में विमान में सवार सभी 242 लोगों में से केवल एक ही बच पाया है बाकि 241 मर चुके हैं। 204 शवों के तुरंत बाद, राज्य स्वास्थ्य सचिव धनंजय द्विवेदी ने डी एन ए टेस्ट के लिए मृतकों के परिवारों से रक्त/सूक्ष्म नमूने मांगे । अब सवाल उठता है कि क्या विमानों की नियमित तकनीकी जांच हो रही है? क्या पायलट और क्रू को पूरी तरह प्रशिक्षित किया जा रहा है?क्या एयर ट्रैफिक कंट्रोल और आपात सेवाएँ पर्याप्त दक्षता के साथ काम कर रही हैं? आइये समझते हैं कि टेक-ऑफ के समय होने वाली विमान दुर्घटनाओं की संख्या और आँकड़ों को। टेक-ऑफ यानी विमान के उड़ान भरने की प्रक्रिया, उड़ान के सबसे संवेदनशील और जोखिमपूर्ण चरणों में से एक मानी जाती है। विभिन्न वैश्विक शोध और विमानन सुरक्षा एजेंसियों के आंकड़ों के अनुसार: इंटरनेशनल सिविल एविएशन आर्गनाइजेशन और बोइंग स्टेटिस्टीकल समरी ऑफ कमर्शियल जेट एयरप्लेन के अनुसार: वर्ष 2005 से 2022 के बीच हुई कमर्शियल विमान दुर्घटनाओं में लगभग 14-18% हादसे टेक-ऑफ के समय हुए हैं। यह संख्या क्रूज़ (मध्य उड़ान) की तुलना में कहीं अधिक है, क्योंकि टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान विमान नियंत्रण, मौसम, रनवे स्थिति और तकनीकी संतुलन पर अत्यधिक निर्भर होता है। बोइंग के 2022 एयरक्राफ्ट सेफ्टी डेटा के अनुसार: टेक-ऑफ और इनिशियल क्लाइंब फेज़ (पहले 3 मिनट की ऊँचाई तक की उड़ान) में लगभग 13% घातक हादसे दर्ज हुए। जबकि लैंडिंग और फाइनल एप्रोच में सबसे ज्यादा (48%) हादसे दर्ज हुए। इंटरनेशनल एयर ट्रांस्पोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक: वर्ष 2020 से 2023 तक की दुर्घटनाओं में टेक-ऑफ के दौरान होने वाली घटनाओं की दर लगभग 0.5 प्रति मिलियन उड़ानें रही है। इनमें अधिकतर दुर्घटनाएं रनवे ओवरशूट, इंजन फेल्योर या बर्ड हिट के कारण हुई हैं। भारत में टेक-ऑफ के दौरान प्रमुख विमान हादसों की बात करें तो एयर इंडिया फ्लाइट 855 (1978, मुंबई)-टेक-ऑफ के तुरंत बाद टेक्निकल गड़बड़ी से अरब सागर में गिरा — सभी 213 लोगों की मौत।इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 491 (1993, औरंगाबाद)-टेक-ऑफ के दौरान ट्रक से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त — 55 लोगों की मृत्यु। एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट (2020, कोझिकोड/कालीकट)-लैंडिंग के दौरान रनवे से फिसला, पर शुरुआती क्लाइंब में हिचकिचाहट दर्ज की गई — 21 लोगों की मौत। अहमदाबाद हादसा (2025)-टेक-ऑफ के बाद कुछ ही मिनटों में विमान क्रैश — 200+ से अधिक जानें गईं। आइये समझते हैं टेक-ऑफ के दौरान दुर्घटना के संभावित कारणों को- इंजन फेल होना। बर्ड हिट (पक्षी से टकराव) रनवे पर गड़बड़ी या सतह का असमान होना, पायलट की त्रुटि या गलत फ्लैप सेटिंग, अत्यधिक वजन या असंतुलन, मौसम संबंधी कारण (जैसे लो-विजिबिलिटी, क्रॉसविंड)। अंत में कह सकते हैं कि टेक-ऑफ के समय होने वाली विमान दुर्घटनाएं पूरी तरह से रोकी नहीं जा सकतीं, लेकिन इनकी संख्या को पर्याप्त रखरखाव, एडवांस प्रशिक्षण, आधुनिक विमानन तकनीक और सतर्क संचालन के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकता है।इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हर दस में से एक से दो घातक विमान दुर्घटनाएं टेक-ऑफ फेज में होती हैं, इसलिए इस चरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर सरकार द्वारा दुर्घटना के बाद उठाये जा रहे कदमों की बात करें तो डी जी सी ए द्वारा बीमोंग व जी ई एयरोस्पेस की तकनीकी टीमों को बुलाया गया है। दोनों ने दुर्घटना में सहयोग का आश्वासन दिया । विशेषज्ञों ने ध्यान दिया कि विमान टेक ऑफ़ स्थर पर फ्लैप स्थिति और लैंडिंग गियर की उपस्थिति असामान्य थी, जो वायुयान की व्यवहार पैटर्न के अनुरूप नहीं थी । ब्लैक बॉक्स और सी वी आर को प्रारंभिक दर्जा दिया गया है, जो स्वास्थ्य मंत्रालय, डी जी सी ए और अमेरिकी ठिकानों जैसे अफसीया से जुड़कर खोज प्रक्रिया में जुट गए हैं।राज्य सरकार, गृह मंत्रालय एवं सर्वोच्च जांच आयोग द्वारा अतिरिक्त संसाधन, नीतिगत समीक्षा और अंतर्राष्ट्रीय मानकों की समीक्षा होनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि “यह त्रासदी अत्यंत दुखद है” — उन्होंने एयरपोर्ट व संबंधित परिवारों को तत्काल सहायता देने का निर्देश दिया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा, “दृश्य विनाशकारी थे और ब्रिटिश नागरिकों के लिए बहुत दुखद” ।बोइंग एवं जी ई ने तकनीकी टीम भेजने, कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी स्वीकारने और मुआवजा व जाँच में योगदान देने का आश्वासन दिया है। अडानी ग्रुप, जिसने अहमदाबाद एयरपोर्ट का परिचालन संभाला हुआ है, ने प्रभावित परिवारों की मदद व हवाई अड्डे की संचालन क्षमता बहाल करने का आग्रह किया ।