भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों को गहरी चोट पहुंचाते हुए एक बड़ा ऐलान किया है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका भारत से आयात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों पर 25% तक का आयात शुल्क लगाएगा। यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब दोनों देशों के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशें चल रही थीं। इस निर्णय से भारत को सीधे तौर पर 10 से 15 अरब डॉलर तक के व्यापारिक नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है। आइये बात करते हैं ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी: अमेरिका फर्स्ट की वापसी की। डोनाल्ड ट्रंप पहले भी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत कई देशों पर टैरिफ लगाकर व्यापार युद्ध को हवा दे चुके हैं। अब 2025 के चुनावी माहौल में उन्होंने फिर से यही रणनीति अपनाई है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत अमेरिकी बाजारों का भरपूर फायदा उठा रहा है लेकिन अमेरिका को बराबरी का मौका नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा, "भारत हमें बिजनेस के मामले में समान अवसर नहीं दे रहा, इसलिए अब हम भी उनके उत्पादों पर भारी शुल्क लगाएंगे।" इस बयान के बाद से भारत के आर्थिक और रणनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह घोषणा न केवल चुनावी रणनीति है, बल्कि इससे भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों की नींव भी हिल सकती है।ट्रंप की इस घोषणा से कई उत्पादों पर प्रभाव पड़ेगा। हालांकि अभी आधिकारिक सूची जारी नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि निम्नलिखित क्षेत्रों के उत्पाद इस टैरिफ के दायरे में आ सकते हैं: इन में स्टील और अल्युमिनियम, फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल डिवाइसेज़, टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट्स, ऑटो पार्ट्स और मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स शामिल हैं। ये वे सेक्टर हैं जिनमें भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में निर्यात करता है। टैरिफ बढ़ने से इन उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ेंगी, जिससे उनकी मांग घटने की आशंका है। भारत को इससे खासा नुकसान होने वाला है। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले से भारत को प्रत्यक्ष रूप से 10 से 15 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। वर्ष 2024-25 में अमेरिका को भारत का कुल निर्यात लगभग 118 अरब डॉलर रहा, जिसमें स्टील, फार्मा, टेक्सटाइल और ऑटो पार्ट्स की बड़ी हिस्सेदारी थी। अगर इन क्षेत्रों में ऑर्डर घटते हैं, तो इससे न केवल विदेशी मुद्रा आय घटेगी, बल्कि इन उद्योगों में कार्यरत लाखों लोगों की नौकरियों पर भी असर पड़ सकता है। दूसरी ओर भारत सरकार इस मुद्दे को लेकर अमेरिका से राजनयिक वार्ता कर सकती है। साथ ही, जिन उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, उन्हें राहत देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाएं और निर्यात सब्सिडी जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, भारत अब अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों को गति देने पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है ताकि अमेरिका पर निर्भरता को कम किया जा सके। यह सच है कि भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते की बातचीत पिछले एक वर्ष से जारी थी। इस डील में कृषि, डिजिटल ट्रेड, डेटा संरक्षण और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों को शामिल किया जा रहा था। लेकिन ट्रंप की इस घोषणा से इन वार्ताओं पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। डोनाल्ड ट्रंप का यह टैरिफ निर्णय न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को झटका देगा, बल्कि द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों की दिशा को भी प्रभावित करेगा। अब भारत के सामने बड़ी चुनौती यह है कि वह राजनयिक संतुलन बनाए रखते हुए अपने उद्योगों को स्थिरता और संरक्षण दे सके। यह समय केवल प्रतिक्रिया देने का नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक रूप से मजबूती से खड़े होने का है।