Wednesday, September 17, 2025
BREAKING
Weather: गुजरात में बाढ़ से हाहाकार, अब तक 30 लोगों की मौत; दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश की चेतावनी जारी दैनिक राशिफल 13 अगस्त, 2024 Hindenburg Research Report: विनोद अदाणी की तरह सेबी चीफ माधबी और उनके पति धवल बुच ने विदेशी फंड में पैसा लगाया Hindus in Bangladesh: मर जाएंगे, बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे... ढाका में हजारों हिंदुओं ने किया प्रदर्शन, हमलों के खिलाफ उठाई आवाज, रखी चार मांग Russia v/s Ukraine: पहली बार रूसी क्षेत्र में घुसी यूक्रेनी सेना!, क्रेमलिन में हाहाकार; दोनों पक्षों में हो रहा भीषण युद्ध Bangladesh Government Crisis:बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट, सेना की कार्रवाई में 56 की मौत; पूरे देश में अराजकता का माहौल, शेख हसीना के लिए NSA डोभाल ने बनाया एग्जिट प्लान, बौखलाया पाकिस्तान! तीज त्यौहार हमारी सांस्कृतिक विरासत, इन्हें रखें सहेज कर- मुख्यमंत्री Himachal Weather: श्रीखंड में फटा बादल, यात्रा पर गए 300 लोग फंसे, प्रदेश में 114 सड़कें बंद, मौसम विभाग ने 7 अगस्त को भारी बारिश का जारी किया अलर्ट Shimla Flood: एक ही परिवार के 16 सदस्य लापता,Kedarnath Dham: दो शव मिले, 700 से अधिक यात्री केदारनाथ में फंसे Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी की सब-कैटेगरी में आरक्षण को दी मंज़ूरी

संपादकीय

The changing balance of Hindu-Muslim population in India's demography!: भारत की डेमोग्राफी में हिंदू-मुस्लिम आबादी का बदलता संतुलन !

September 16, 2025 09:47 PM

 भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़      

भारत में जनसंख्या और उसका धार्मिक संतुलन हमेशा से बहस और राजनीति का विषय रहा है। हर बार जनगणना या सर्वेक्षण का आंकड़ा सामने आने पर यह सवाल खड़ा हो जाता है कि क्या देश की डेमोग्राफी (जनसांख्यिकीय ढांचा) बदल रही है। हाल के अध्ययनों और उपलब्ध सरकारी डेटा के आधार पर इस विषय पर गहराई से नजर डालना जरूरी है, क्योंकि यह महज धार्मिक बहस नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक विकास से भी जुड़ा हुआ मामला है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। 2023 में संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया कि भारत की आबादी चीन से भी आगे निकल चुकी है। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय शामिल हैं। सबसे बड़ा हिस्सा हिंदुओं का है, जबकि मुसलमान दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह हैं। पिछले सात दशकों में जनसंख्या अनुपात में बदलाव देखने को मिला है। 1951 में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 84% और मुसलमानों की 9.8% थी। 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदुओं का अनुपात घटकर करीब 79.8% और मुसलमानों का बढ़कर लगभग 14.2% हो गया। यही आंकड़े कई बार "डेमोग्राफी चेंज" की बहस को जन्म देते हैं। हालांकि, इस बदलाव को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से देखना सही तस्वीर पेश नहीं करता। वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि का सबसे महत्वपूर्ण पैमाना "टोटल फर्टिलिटी रेट" यानी प्रति महिला औसतन जन्मे बच्चों की संख्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन एफ एच एस-5, 2019-21) के अनुसार भारत का औसत टी एफ आर 2.0 तक पहुंच चुका है, जो "जनसंख्या स्थिरता" की सीमा 2.1 से भी नीचे है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सभी धर्मों में प्रजनन दर में गिरावट दर्ज की गई है। हिंदुओं का टी एफ आर 1.9 है, जबकि मुसलमानों का 2.3। हालांकि मुस्लिम समुदाय में  प्रजनन दर अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन इसमें सबसे तेज गिरावट भी उसी वर्ग में हुई है। 1992 में मुसलमानों का टी एफ आर 4.4 था, जो अब आधे से भी कम रह गया है। इसका मतलब है कि लंबे समय में दोनों समुदायों की जन्मदर में अंतर और कम होता जाएगा। अक्सर यह प्रचारित किया जाता है कि मुसलमानों की जनसंख्या विस्फोटक तरीके से बढ़ रही है और आने वाले दशकों में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। लेकिन आंकड़े इस धारणा का समर्थन नहीं करते। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में अगले सौ सालों तक भी हिंदुओं की जनसंख्या हिस्सेदारी बहुमत से कम नहीं होगी। कई शोध यह भी बताते हैं कि मुस्लिम आबादी बढ़ने की रफ्तार में गिरावट हिंदुओं से कहीं ज्यादा तेज है। उदाहरण के तौर पर 2001 से 2011 के बीच मुसलमानों की आबादी वृद्धि दर 24% से घटकर 18% पर आ गई। इसी अवधि में हिंदुओं की वृद्धि दर 20% से घटकर लगभग 17% रही। जनसंख्या वृद्धि को केवल धार्मिक कोण से देखने के बजाय इसके सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य सुविधाएं, महिलाओं की भागीदारी और शहरीकरण प्रजनन दर को प्रभावित करते हैं। जहां शिक्षा और स्वास्थ्य बेहतर है, वहां सभी धर्मों में जन्मदर कम पाई गई है। मुस्लिम समुदाय में शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ने से परिवार नियोजन की स्वीकार्यता भी बढ़ रही है। कई राज्यों में मुस्लिम और हिंदू परिवारों की औसत संतान संख्या में अब बहुत कम अंतर है। डेमोग्राफी पर होने वाली बहस अक्सर राजनीतिक रंग ले लेती है। कुछ दल या समूह इसे "संख्या का खेल" बनाकर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करते हैं। जबकि असली चुनौती यह है कि देश की बढ़ती जनसंख्या को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा कैसे दी जाए। यदि विकास की नीतियों का केंद्रबिंदु केवल धार्मिक आंकड़े रहेंगे तो असल समस्याएं नजरअंदाज हो जाएंगी। जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ होना, महिलाओं की शिक्षा, और आर्थिक अवसरों का विस्तार कहीं ज्यादा प्रभावी उपाय साबित होंगे। तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत की डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है, लेकिन यह "संकट" के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। बदलाव का अर्थ है कि सभी समुदायों में जन्मदर घट रही है और धीरे-धीरे जनसंख्या स्थिरता की ओर बढ़ रही है। हिंदुओं की संख्या में गिरावट नहीं, बल्कि प्रतिशत हिस्सेदारी में मामूली कमी आई है, क्योंकि अन्य समुदायों की वृद्धि दर उनसे थोड़ी अधिक रही। वहीं, मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि तेज रही है, पर अब उसमें भी लगातार गिरावट आ रही है। भारत की जनसंख्या संरचना एक जटिल और बहुआयामी विषय है। "डेमोग्राफी चेंज" को केवल धार्मिक आधार पर समझना न तो उचित है और न ही वैज्ञानिक। यह सही है कि मुसलमानों की आबादी का प्रतिशत दशकों में बढ़ा है, लेकिन उसकी गति अब धीमी हो चुकी है। हिंदू बहुसंख्यक स्थिति में बने रहेंगे और आने वाले वर्षों में दोनों समुदायों की जन्मदर में अंतर और कम होगा। असल ध्यान इस पर होना चाहिए कि देश में हर नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, उसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिले। जनसंख्या का असली संकट "संख्या" नहीं, बल्कि "गुणवत्ता" है। यदि हम इसे समझ लें, तो भारत की जनसांख्यिकीय बहस अधिक तार्किक और संतुलित हो जाएगी।

Have something to say? Post your comment

और संपादकीय समाचार

National Sports Governance Act, 2025: राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025: भारतीय खेल जगत में बढ़ेगी पारदर्शिता, खिलाड़ियों को मिलेगी ताक़त, नेताओं की कुर्सी डगमगाएगी!

National Sports Governance Act, 2025: राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025: भारतीय खेल जगत में बढ़ेगी पारदर्शिता, खिलाड़ियों को मिलेगी ताक़त, नेताओं की कुर्सी डगमगाएगी!

विदेशों में प्रवासियों के ख़िलाफ़ बढ़ता आक्रोश: लाखों भारतीय एनआरआईज़ के लिए खतरे की घंटी!

विदेशों में प्रवासियों के ख़िलाफ़ बढ़ता आक्रोश: लाखों भारतीय एनआरआईज़ के लिए खतरे की घंटी!

मोदी सरकार की कोशिशों से पूर्वोत्तर भारत का भाग्य बदलने की तैयारी!

मोदी सरकार की कोशिशों से पूर्वोत्तर भारत का भाग्य बदलने की तैयारी!

The 'brain-eating' infection wreaked havoc in Kerala: ‘केरल में दिमाग खाने वाले’ इंफेक्शन ने मचाई तबाही, छः लोगों की ली जान, केंद्र और राज्य सरकार तत्काल कदम उठाने की दरकार

The 'brain-eating' infection wreaked havoc in Kerala: ‘केरल में दिमाग खाने वाले’ इंफेक्शन ने मचाई तबाही, छः लोगों की ली जान, केंद्र और राज्य सरकार तत्काल कदम उठाने की दरकार

After Oli, Sushila Karki is front runner for the interim PM, hopes of improving relations between Nepal and India have risen: ओली के बाद सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री के पद के लिए सबसे बड़ी दावेदार, नेपाल-भारत के बीच रिश्ते सुधरनें की जगीं उम्मीदें

After Oli, Sushila Karki is front runner for the interim PM, hopes of improving relations between Nepal and India have risen: ओली के बाद सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री के पद के लिए सबसे बड़ी दावेदार, नेपाल-भारत के बीच रिश्ते सुधरनें की जगीं उम्मीदें

CP Radhakrishnan becomes the 15th Vice President of India: BJP's strategic victory will change the political equation!: सीपी राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति: भाजपा की रणनीतिक जीत से बदलेगा राजनीतिक समीकरण!

CP Radhakrishnan becomes the 15th Vice President of India: BJP's strategic victory will change the political equation!: सीपी राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति: भाजपा की रणनीतिक जीत से बदलेगा राजनीतिक समीकरण!

Why is the anger of the youth simmering from Dhaka to Kathmandu?: ढाका से काठमांडू तक क्यों सुलग रहा युवाओं का गुस्सा?

Why is the anger of the youth simmering from Dhaka to Kathmandu?: ढाका से काठमांडू तक क्यों सुलग रहा युवाओं का गुस्सा?

Silicosis – a ‘silent killer’ disease that is taking away the lives of mining workers: Now the government needs to take appropriate and strict steps: खनन मजदूरों की सांसें छीन रही ‘साइलेंट किलर’ बीमारी– सिलिकोसिस : अब सरकार से उचित व कड़े कदम उठाने की दरकार

Silicosis – a ‘silent killer’ disease that is taking away the lives of mining workers: Now the government needs to take appropriate and strict steps: खनन मजदूरों की सांसें छीन रही ‘साइलेंट किलर’ बीमारी– सिलिकोसिस : अब सरकार से उचित व कड़े कदम उठाने की दरकार

Diplomacy of leniency and friendship in India-US trade war or a new game?: बाबू जी धीरे चलना ..ज़रा संभलना-बड़े धोखे हैं इस राह मेः भारत-अमेरिका व्यापार युद्ध में नरमी-दोस्ती की डिप्लोमेसी या नया खेल?

Diplomacy of leniency and friendship in India-US trade war or a new game?: बाबू जी धीरे चलना ..ज़रा संभलना-बड़े धोखे हैं इस राह मेः भारत-अमेरिका व्यापार युद्ध में नरमी-दोस्ती की डिप्लोमेसी या नया खेल?

A unique confluence of crime and power: 47% of the country's ministers are involved in criminal cases!: अपराध और सत्ता का अनोखा संगम: देश के 47% मंत्री आपराधिक मामलों में फंसे !

A unique confluence of crime and power: 47% of the country's ministers are involved in criminal cases!: अपराध और सत्ता का अनोखा संगम: देश के 47% मंत्री आपराधिक मामलों में फंसे !

By using our site, you agree to our Terms & Conditions and Disclaimer     Dismiss