भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां भारत आज वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के क्षेत्र में हालिया आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत अब निवेश के लिए एक ‘हॉटस्पॉट’ के रूप में उभरा है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं—तेज़ होती आर्थिक विकास दर, विशाल युवा जनसंख्या और सरकार द्वारा किए गए व्यापक नीतिगत सुधार। यह सच है कि 2025 की पहली दो तिमाहियों में भारत की जी डी पी वृद्धि दर 7.8% के पार पहुंच चुकी है, जो विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ है। आई एम एफ और विश्व बैंक दोनों ही भारत की अर्थव्यवस्था को "उभरती हुई वैश्विक शक्ति" बता चुके हैं। यह विकास दर विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण का बड़ा कारण बन रही है। तेजी से विकसित होते बुनियादी ढांचे, डिजिटल इंडिया अभियान और स्मार्ट शहरों के निर्माण जैसी योजनाओं ने देश को निवेश के लिए एक स्थिर और लाभदायक ज़ोन में बदल दिया है। भारत की लगभग 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह युवा शक्ति न केवल श्रमशक्ति के रूप में लाभकारी है, बल्कि उपभोक्ता वर्ग के रूप में भी विशाल बाज़ार उपलब्ध कराती है। वैश्विक कंपनियां इसे अवसर के रूप में देख रही हैं, क्योंकि यह वर्ग नई तकनीकों को तेजी से अपनाने और उपयोग करने के लिए तैयार है। टेक्नोलॉजी, ई-कॉमर्स, फिनटेक, और हेल्थटेक जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश बड़ी मात्रा में आ रहा है। बीते कुछ वर्षों में भारत सरकार ने व्यापार और निवेश के क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में भारत की स्थिति लगातार सुधरी है। विदेशी निवेश की सीमा को कई क्षेत्रों में बढ़ाया गया है, जैसे—रक्षा, बीमा, खुदरा और दूरसंचार। साथ ही, जी एस टी के सफल क्रियान्वयन और कंपनियों के लिए टैक्स दरों में कटौती जैसे कदमों ने व्यापार जगत में स्थिरता और पारदर्शिता लाई है। 2025 की पहली छमाही में भारत को लगभग 47 अरब डॉलर का एफ डी आई प्राप्त हुआ है। अमेरिका, जापान, सिंगापुर, नीदरलैंड और यूएई जैसे देशों से लगातार निवेश प्रवाह हो रहा है। टेक जायंट्स जैसे गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला और अमेज़न ने अपने भारत स्थित परिचालन को विस्तार दिया है। इसके अलावा, ईवी सेक्टर, ग्रीन एनर्जी, फार्मा, एआई और सेमीकंडक्टर जैसे उभरते क्षेत्रों में भी विदेशी कंपनियां भारत में निर्माण इकाइयाँ स्थापित कर रही हैं। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में तीसरे स्थान पर है। जुलाई 2025 तक भारत में 120 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियां दर्ज की जा चुकी हैं। ये स्टार्टअप्स नई तकनीकों, नवाचार और रोजगार सृजन में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। विदेशी वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी फर्मों ने भी भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश बढ़ा दिया है। बावजूद इन सब के भारत के सामने चुनौतियां तो हैं मगर ये सब नियंत्रण में हैं। हालांकि, भारत को लॉजिस्टिक्स, कानूनी प्रक्रिया में विलंब और कुछ राज्यों में भूमि अधिग्रहण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन केंद्र सरकार इन समस्याओं पर तेजी से काम कर रही है। डिजिटल पोर्टल्स, सिंगल विंडो क्लीयरेंस, और निवेशकों के लिए स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन जैसी योजनाएं इन बाधाओं को दूर कर रही हैं। भारत 2025 में न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि रणनीतिक रूप से भी एक वैश्विक निवेश गंतव्य बन चुका है। यहां की तेज़ आर्थिक ग्रोथ, सशक्त युवा वर्ग और लगातार हो रहे संरचनात्मक सुधार इसे निवेशकों की पहली पसंद बना रहे हैं। एफ डी आई का मौजूदा प्रवाह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब भविष्य की अर्थव्यवस्था की नींव बन रहा है।