भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच द्विपक्षीय संबंध इस समय एक नए, महत्त्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर चुके हैं। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित यह साझेदारी अब व्यापार, रणनीतिक सहयोग, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और वैश्विक स्थिरता जैसे अहम क्षेत्रों में नये आयाम छू रही है। ब्रेक्ज़िट के बाद जहां ब्रिटेन वैश्विक व्यापार साझेदारियों को फिर से आकार देने की प्रक्रिया में है, वहीं भारत अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक मानचित्र पर और भी अधिक सशक्त बनाना चाहता है। ऐसे में दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं और भी प्रबल हो गई हैं। हालिया वर्षों में भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक संबंधों ने उल्लेखनीय प्रगति की है। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर चल रही वार्ताएं इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं। इस समझौते से टैरिफ में कटौती, व्यापार बाधाओं को कम करने और सेवा क्षेत्रों में खुलेपन को बढ़ावा मिलेगा। ब्रिटेन की कंपनियां भारत में उभरते बाज़ारों में निवेश के लिए उत्सुक हैं, वहीं भारतीय स्टार्टअप्स और तकनीकी कंपनियां भी लंदन और अन्य यूरोपीय बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। यह परस्पर निवेश केवल आर्थिक साझेदारी को ही नहीं, बल्कि तकनीकी और नवाचार आधारित संबंधों को भी सुदृढ़ बना रहा है। भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा सहयोग भी नए मुकाम पर पहुंच चुका है। हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा से लेकर साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों तक, दोनों देशों की सेनाएं रणनीतिक स्तर पर सहयोग कर रही हैं। ‘कॉमनवेल्थ मैरीन अभ्यास’ और अन्य संयुक्त सैन्य अभ्यास इन संबंधों की गहराई को दर्शाते हैं। साथ ही, दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र और नियम-आधारित व्यवस्था की पक्षधरता में एकजुट हैं। चीन की बढ़ती आक्रामकता के परिप्रेक्ष्य में यह सहयोग भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और ब्रिटेन का सहयोग नए युग की नींव रख रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, ग्रीन एनर्जी और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच संयुक्त अनुसंधान और नवाचार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटीज और भारत के तकनीकी संस्थानों के बीच साझेदारी भी तेज़ी से बढ़ी है, जिससे स्टूडेंट एक्सचेंज, स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप सहयोग को नया बल मिला है। भारत और ब्रिटेन दोनों ही जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध वैश्विक अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। सी ओ पी 26 के दौरान घोषित साझा प्रतिबद्धताएं अब धरातल पर उतर रही हैं। भारत की ‘मिशन लाइफ’ पहल और ब्रिटेन की नेट ज़ीरो रणनीति के बीच सामंजस्य से टिकाऊ विकास की दिशा में ठोस पहल हो रही है। इसके साथ ही, दोनों देश संयुक्त राष्ट्र, जी 20, और कॉमनवेल्थ जैसे मंचों पर भी लोकतंत्र, मानवाधिकार, वैश्विक स्वास्थ्य और शांति-स्थापना में अपनी भूमिका को एकजुट होकर निभा रहे हैं। अंत में कह सकते हैं कि भारत-ब्रिटेन संबंध आज केवल इतिहास की विरासत नहीं हैं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाला एक सशक्त मंच बन चुके हैं। साझा हितों, मूल्यों और दृष्टिकोण के आधार पर यह साझेदारी आने वाले वर्षों में और अधिक गहराई और व्यापकता प्राप्त करेगी। चाहे वह वैश्विक नेतृत्व हो या तकनीकी नवाचार, व्यापारिक सहयोग हो या पर्यावरणीय संतुलन – भारत और ब्रिटेन मिलकर एक समावेशी, स्थायी और प्रगतिशील भविष्य की नींव रख रहे हैं।