Thursday, June 12, 2025
BREAKING
Weather: गुजरात में बाढ़ से हाहाकार, अब तक 30 लोगों की मौत; दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश की चेतावनी जारी दैनिक राशिफल 13 अगस्त, 2024 Hindenburg Research Report: विनोद अदाणी की तरह सेबी चीफ माधबी और उनके पति धवल बुच ने विदेशी फंड में पैसा लगाया Hindus in Bangladesh: मर जाएंगे, बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे... ढाका में हजारों हिंदुओं ने किया प्रदर्शन, हमलों के खिलाफ उठाई आवाज, रखी चार मांग Russia v/s Ukraine: पहली बार रूसी क्षेत्र में घुसी यूक्रेनी सेना!, क्रेमलिन में हाहाकार; दोनों पक्षों में हो रहा भीषण युद्ध Bangladesh Government Crisis:बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट, सेना की कार्रवाई में 56 की मौत; पूरे देश में अराजकता का माहौल, शेख हसीना के लिए NSA डोभाल ने बनाया एग्जिट प्लान, बौखलाया पाकिस्तान! तीज त्यौहार हमारी सांस्कृतिक विरासत, इन्हें रखें सहेज कर- मुख्यमंत्री Himachal Weather: श्रीखंड में फटा बादल, यात्रा पर गए 300 लोग फंसे, प्रदेश में 114 सड़कें बंद, मौसम विभाग ने 7 अगस्त को भारी बारिश का जारी किया अलर्ट Shimla Flood: एक ही परिवार के 16 सदस्य लापता,Kedarnath Dham: दो शव मिले, 700 से अधिक यात्री केदारनाथ में फंसे Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी की सब-कैटेगरी में आरक्षण को दी मंज़ूरी

संपादकीय

India must prioritise teacher empowerment, community participation and skill integration: भारत को अमीरी से पहले बूढ़ा होने से बचाने के लिए शिक्षक सशक्तीकरण, सामुदायिक भागीदारी और कौशल समन्वय को प्राथमिकता देनी चाहिए

June 10, 2025 09:27 PM

 भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़    

'माध्यमिक शिक्षा पर सार्वजनिक रिपोर्ट 2024' ने भारत में स्कूली शिक्षा की गहराई से समीक्षा प्रस्तुत की है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि प्राथमिक स्तर पर नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, माध्यमिक और व्यावसायिक शिक्षा गंभीर रूप से उपेक्षित बनी हुई है। ऐसे में जब सिंगापुर और जापान जैसे देश मज़बूत माध्यमिक शिक्षा प्रणाली के बल पर विकास की गति तेज कर चुके हैं, भारत में इस क्षेत्र में कम निवेश और संसाधनों की कमी से युवाओं की कौशल क्षमता और रोजगार योग्यता में असंतुलन पैदा हो गया है। यह स्थिति देश के जनसांख्यिकीय लाभांश को खतरे में डालती है और “अमीर बनने से पहले बूढ़े हो जाने” की आशंका को प्रबल करती है। आइये समझते हैं माध्यमिक शिक्षा प्रणाली में संरचनात्मक खामियों के बारे में। देशभर में 8.4 लाख शिक्षक पद रिक्त हैं, जिनमें विज्ञान और गणित जैसे विषयों के लिये विशेष रूप से विशेषज्ञ शिक्षकों की भारी कमी है। राज्यों में कई विद्यालय अनुबंध या अतिथि शिक्षकों पर निर्भर हैं, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होती है।तेलंगाना के आवासीय विद्यालयों में प्रति छात्र 2 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं, जबकि केंद्रीय विद्यालयों में यह राशि मात्र 65,000 रुपये है। इसके अलावा, 47% स्कूलों में पेयजल और 53% में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा नहीं है। अधिकांश स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समितियाँ या तो हैं ही नहीं या कागजों में हैं। सी ए जी की रिपोर्ट के अनुसार 12 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 3% से 88% तक स्कूलों में एस एम सी मौजूद नहीं थीं। समग्र शिक्षा योजना के तहत कई राज्यों को अपेक्षित वित्तीय सहायता नहीं मिली।मर्सर-मेटल रिपोर्ट के अनुसार केवल 45% स्नातक ही रोजगार योग्य हैं। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और उद्योग की जरूरतों के बीच का फासला युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को सीमित करता है।केवल 57.2% स्कूलों में कंप्यूटर और 53.9% में इंटरनेट की सुविधा है। डिजिटल उपकरणों का अधिकतर इस्तेमाल शिक्षकों के स्थान पर किया जाता है, न कि उनकी सहायता के लिए।आदिवासी छात्रों को अपनी मातृभाषा के स्थान पर हिंदी, अंग्रेजी या तेलुगु में पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी शैक्षणिक प्रगति बाधित होती है। यह स्थिति केंद्रीय भर्ती नीतियों द्वारा और भी बदतर हो जाती है।भारत की शिक्षा प्रणाली आज भी रटने को प्राथमिकता देती है। जबकि नई शिक्षा नीति 2020 योग्यता आधारित शिक्षा की बात करती है, परंतु परीक्षा आधारित प्रणाली में बदलाव की गति धीमी है। शिक्षा संरचना में हालिया बदलाव और सरकारी पहलों की बात करें तो हम पायेंगे कि भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली अब 5+3+3+4 प्रारूप के अनुसार पुनर्गठित हो रही है, जो 3 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को समाविष्ट करती है। यह प्रारंभिक शिक्षा को औपचारिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने का प्रयास है।सर्व शिक्षा अभियान और छात्रवृत्तियाँ: एस टी एस सी छात्रों और लड़कियों के नामांकन में वृद्धि, जैसे महिला एस टी  छात्रों में 80.1% नामांकन वृद्धि। डिजिटल शिक्षा: स्मार्ट क्लास, यूट्यूब सामग्री और आई सी टी  प्रयोगशालाएं प्रभावी रूप से प्रयोग हो रही हैं, हालांकि शिक्षक की जगह नहीं ले सकतीं। अटल टिंकरिंग लैब्स: नवाचार को बढ़ावा देने की पहल, लेकिन पर्याप्त विज्ञान शिक्षक न होने से उपयोग सीमित।कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयः  वंचित समुदायों की लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय, जिसमें न्यूनतम 75% आरक्षण दिया गया है। लिंग संवेदनशीलता और महिला शिक्षकों की भर्ती: अलग शौचालय, संवेदनशीलता प्रशिक्षण और अधिक महिला शिक्षकों की नियुक्ति से स्कूलों में लड़कियों के प्रतिधारण में सुधार हुआ है। ओ ई सी डी देशों की तरह, भारत को भी शिक्षकों की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम नवाचार और सामुदायिक भागीदारी पर ध्यान देना होगा। पीसा रैंकिंग में सुधार के लिए छात्रों में विश्लेषणात्मक क्षमता, संवाद और रचनात्मकता को बढ़ाना होगा। समाधान और सुधार की दिशा में रणनीतिक सुझाव पर ध्यान देना जरूरी है। सभी शिक्षण पदों को शीघ्र भरना चाहिए और विज्ञान शिक्षकों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षिण प्रणाली लागू की जानी चाहिए।हर स्कूल में सक्रिय एस एम सी  गठित होनी चाहिए, जिन्हें बजट, विकास और संसाधन आवंटन में स्वतंत्रता दी जाए। स्थानीय सरकार इसकी निगरानी करे।"मॉडल स्कूलों" से फंड हटाकर जरूरतमंद राजकीय स्कूलों में पुनर्नियोजन किया जाए। प्रति छात्र सरकारी व्यय का मानकीकरण हो। आई टी आई और पॉलिटेक्निक को उद्योग की जरूरतों के अनुसार पुनर्गठित किया जाए। पी पी पी मॉडल के तहत लैब्स और उपकरणों का आधुनिकीकरण हो।रटने की शिक्षा के स्थान पर योग्यता आधारित शिक्षा को प्राथमिकता मिले। आलोचनात्मक सोच, नवाचार और अंतःविषयक अध्ययन को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।डिजिटल संसाधनों का इस्तेमाल केवल पूरक के रूप में हो। शिक्षक की भूमिका को तकनीक के माध्यम से सशक्त किया जाए, प्रतिस्थापित नहीं। अंत में कह सकते हैं कि भारत की माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था एक संक्रमण काल में है। परोस 2024 रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भले ही नामांकन बढ़ा हो, लेकिन यदि शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षक प्रशिक्षण, शासन व्यवस्था और व्यावसायिक शिक्षा की प्रासंगिकता पर ध्यान नहीं दिया गया, तो जनसांख्यिकीय लाभांश एक 'लॉस्ट चांस' में बदल सकता है। सिंगापुर, जापान और ओ ई सी डी देशों के अनुभव बताते हैं कि कुशल शिक्षक, सामुदायिक सहभागिता और उद्योग-उन्मुख शिक्षा ही किसी राष्ट्र को वैश्विक नेतृत्व के पथ पर आगे ले जाती है। भारत को यदि “अमीर बनने से पहले बूढ़े हो जाने” के संकट से बचना है, तो शिक्षकों के सशक्तीकरण, सामुदायिक स्वामित्व और व्यावसायिक समन्वय पर नीतिगत प्राथमिकता देनी ही होगी।

 

Have something to say? Post your comment

और संपादकीय समाचार

India moves towards improving research, digital health and skill development and public-private partnerships to shape the future of the health sector: अनुसंधान, डिजिटल स्वास्थ्य और कौशल विकास में सुधार व सार्वजनिक-निजी साझेदारी स्वास्थ्य क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की ओर भारत

India moves towards improving research, digital health and skill development and public-private partnerships to shape the future of the health sector: अनुसंधान, डिजिटल स्वास्थ्य और कौशल विकास में सुधार व सार्वजनिक-निजी साझेदारी स्वास्थ्य क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की ओर भारत

Independent monitoring, transparent asset declaration and regular process reviews are essential for judicial accountability: न्यायिक जवाबदेही हेतु स्वतंत्र निगरानी, पारदर्शी परिसंपत्ति घोषणा और नियमित कार्यप्रणाली समीक्षा जरूरी

Independent monitoring, transparent asset declaration and regular process reviews are essential for judicial accountability: न्यायिक जवाबदेही हेतु स्वतंत्र निगरानी, पारदर्शी परिसंपत्ति घोषणा और नियमित कार्यप्रणाली समीक्षा जरूरी

Towards 2047: Self-reliant India through biodiversity: 2047 की ओर: जैव विविधता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत

Towards 2047: Self-reliant India through biodiversity: 2047 की ओर: जैव विविधता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत

India urgently needs to strengthen its cyber security: भारत को बढ़ते जटिल खतरों के बीच अपनी साइबर सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता

India urgently needs to strengthen its cyber security: भारत को बढ़ते जटिल खतरों के बीच अपनी साइबर सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता

Important for India to adopt a life-cycle approach based on cyclical principles: मौजूदा हालात में भारत के लिए चक्रीय सिद्धांतों पर आधारित जीवन-चक्र दृष्टिकोण को अपनाना बेहद जरूरी

Important for India to adopt a life-cycle approach based on cyclical principles: मौजूदा हालात में भारत के लिए चक्रीय सिद्धांतों पर आधारित जीवन-चक्र दृष्टिकोण को अपनाना बेहद जरूरी

Why was the Royal Challengers Bangalore (RCB) parade organised despite police's refusal?: पुलिस के मना करने के बावजूद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आर सी बी ) परेड का क्यों हुआ आयोजन?

Why was the Royal Challengers Bangalore (RCB) parade organised despite police's refusal?: पुलिस के मना करने के बावजूद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आर सी बी ) परेड का क्यों हुआ आयोजन?

The truth about the world's third largest economy: India will only emerge from indigenous mining!: विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का सच: स्वदेशी खनन से ही निकलेगा भारत!

The truth about the world's third largest economy: India will only emerge from indigenous mining!: विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का सच: स्वदेशी खनन से ही निकलेगा भारत!

Need for a better balance of healthcare services in private hospitals versus government system : जरूरत है निजी अस्पताल बनाम सरकारी व्यवस्था में स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतरीन संतुलन की

Need for a better balance of healthcare services in private hospitals versus government system : जरूरत है निजी अस्पताल बनाम सरकारी व्यवस्था में स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतरीन संतुलन की

India and Global Governance:भारत और वैश्विक शासन: बहुपक्षीयता, भू-राजनीति और रणनीतिक संतुलन की नई दिशा

India and Global Governance:भारत और वैश्विक शासन: बहुपक्षीयता, भू-राजनीति और रणनीतिक संतुलन की नई दिशा

डिजिटल युग में बेहतर डेटा गवर्नेंस के लिए भारत में संस्थागत पारदर्शिता, सार्वजनिक सहभागिता और तकनीकी नवाचार का समन्वय अत्यंत जरूरी

डिजिटल युग में बेहतर डेटा गवर्नेंस के लिए भारत में संस्थागत पारदर्शिता, सार्वजनिक सहभागिता और तकनीकी नवाचार का समन्वय अत्यंत जरूरी

By using our site, you agree to our Terms & Conditions and Disclaimer     Dismiss