चंडीगढ़, 20 अप्रैल:
पंजाब के सबसे पुराने ताप विद्युत संयंत्रों में शामिल गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल प्लांट (जीजीएसटीपी), रूपनगर ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से एक नया मानक स्थापित किया है। 36 वर्षों पुराने इस संयंत्र ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में कार्यकुशलता, विश्वसनीयता और उत्पादन क्षमता के मामलों में असाधारण प्रगति दर्ज की है।
राज्य के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जीजीएसटीपी ने बीते दशक की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि उत्पादन क्षमता, प्लांट लोड फैक्टर (PLF), हीट रेट और थर्मल एफिशिएंसी जैसे प्रमुख मानकों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। मंत्री ने इस सफलता का श्रेय राज्य सरकार की रणनीतिक योजना, नियमित रखरखाव और ऑपरेशनल सुधारों को दिया।
उत्पादन और पीएलएफ में ऐतिहासिक वृद्धि
वर्तमान में संचालित चार यूनिटों के माध्यम से जीजीएसटीपी ने 4553.72 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली का उत्पादन किया है, जो वित्तीय वर्ष 2015-16 में छह यूनिटों के संचालित होने पर प्राप्त आंकड़ों से अधिक है। वर्ष 2024-25 के लिए संयंत्र का पीएलएफ 61.88% रहा, जो वर्ष 2014-15 के बाद अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
हीट रेट और थर्मल एफिशिएंसी में सुधार
कोयले की विशिष्ट खपत घटकर 652 ग्राम/किलोवाट-घंटा हो गई है, जबकि पिछले वर्ष यह 687 ग्राम थी। इसके परिणामस्वरूप संयंत्र की हीट रेट 5.75% घटकर 2666 किलो कैलोरी/किलोवाट-घंटा हो गई है। इसी अनुपात में थर्मल एफिशिएंसी भी बढ़कर 32.25% हो गई है, जो पिछले वर्ष 30.40% थी।
ईंधन की बचत में बड़ा योगदान
बिजली मंत्री ने बताया कि ऑपरेटरों के प्रशिक्षण और दक्षता में सुधार के कारण तेल की खपत में उल्लेखनीय कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जहां तेल की खपत 2.00 मि.ली./किलोवाट-घंटा थी, वहीं यह घटकर 1.05 मि.ली./किलोवाट-घंटा हो गई है। इस सुधार से राज्य सरकार को लगभग 27 करोड़ रुपये की सीधी बचत हुई है।
बायोमास ईंधन के उपयोग में भी अव्वल
जीजीएसटीपी ने केंद्र सरकार और सीईए द्वारा निर्धारित 3% बायोमास ईंधन के उपयोग के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया है। संयंत्र ने 94,935 मीट्रिक टन बायोमास पैलेट्स जलाए, जो पंजाब के स्थानीय किसानों से खरीदे गए थे। इससे पराली प्रबंधन को बढ़ावा मिला और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई, जो सतत ऊर्जा की दिशा में एक सराहनीय पहल है।
खरीद और आधुनिकीकरण की योजनाएं
आगामी समय को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने संयंत्र की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए 108 करोड़ रुपये की लागत से नए रीहीटरों की खरीद की मंजूरी दी है। यह उपकरण भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) से लिए जा रहे हैं और इनकी स्थापना सभी यूनिटों में की जाएगी। इससे भविष्य में बेहतर और निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
कर्मचारियों की प्रतिबद्धता ने रचा इतिहास
हरभजन सिंह ने कहा कि इतनी पुरानी यूनिटों से ऐसा प्रदर्शन, जीजीएसटीपी टीम की प्रतिबद्धता, निरंतर प्रयासों और योजनाबद्ध कार्यशैली का परिणाम है। विशेष रूप से धान के सीजन के दौरान संयंत्र का बिना रुकावट संचालन राज्य के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला कदम रहा।