भारत की रक्षा क्षमताओं में एक और महत्वपूर्ण इजाफा हुआ है। रूस से अत्याधुनिक Igla-S पोर्टेबल एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की पहली खेप भारतीय सेना को प्राप्त हो गई है। इससे अब भारतीय थल सेना की कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई खतरों से निपटने की क्षमता और भी अधिक सशक्त हो गई है। इस मिसाइल की खासियत यह है कि यह चलते सैनिक भी अपने कंधे पर रखकर चला सकते हैं और दुश्मन के ड्रोन, हेलिकॉप्टर या कम ऊंचाई पर उड़ते विमानों को पलभर में मार गिरा सकते हैं।
क्या है Igla-S मिसाइल सिस्टम?
Igla-S रूस की एक आधुनिक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) है, जो इन्फ्रारेड आधारित तकनीक से काम करती है। यह मिसाइल 6 किलोमीटर की रेंज तक हवाई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इसकी मारक क्षमता इतनी सटीक है कि यह लक्ष्य के टारगेट लॉक होते ही फायर हो जाती है और दुश्मन को पलभर में नष्ट कर देती है।
क्यों है यह भारतीय सेना के लिए अहम?
भारत की सीमाएं चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से लगती हैं, जहां अक्सर ड्रोन और निगरानी विमानों की गतिविधियां देखी जाती हैं। खासकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब में पाकिस्तान समर्थित ड्रोन गतिविधियां सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुकी हैं। ऐसे में Igla-S जैसे पोर्टेबल सिस्टम सुरक्षा बलों को फुर्ती से जवाब देने की क्षमता प्रदान करते हैं।
भारत-रूस रक्षा सहयोग का प्रतीक
इस डील को भारत और रूस के बीच गहरे रक्षा सहयोग का प्रतीक माना जा रहा है। यह सौदा भारत के 'मेक इन इंडिया' रक्षा कार्यक्रम के तहत हुआ है, जिसमें कुछ मिसाइलें रूस से आयात की गई हैं और शेष का निर्माण भारत में किया जाएगा। इसके लिए भारत की सरकारी कंपनी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) को जिम्मेदारी दी गई है।
Igla-S मिसाइल प्रणाली के आने से भारतीय सेना की तात्कालिक जवाबी कार्रवाई की शक्ति में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है। यह सीमावर्ती इलाकों में तैनात सैनिकों को न केवल मोबाइल सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि दुश्मन की साजिशों को समय रहते विफल करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।