भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक और झटका तब लगा जब उसका 101वां मिशन EOS-09 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित करने में असफल रहा। यह मिशन तीसरे स्टेज में तकनीकी खामी के चलते अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया।
लॉन्चिंग की शुरुआत सही रही, पर अंत में गड़बड़ी
ISRO ने अपने रॉकेट PSLV-CXX के ज़रिए EOS-09 को लॉन्च किया। शुरुआती दो स्टेज पूरी तरह सफल रहे और सैटेलाइट अपनी तय दिशा में बढ़ रहा था। लेकिन तीसरे चरण में पहुंचते ही रॉकेट की प्रपल्शन यूनिट में खराबी आ गई, जिससे सैटेलाइट कक्षा में स्थापित नहीं हो सका। इसके कारण EOS-09 निर्धारित ऑर्बिट तक नहीं पहुंच पाया।
क्या है EOS-09 सैटेलाइट?
EOS-09 एक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जिसे मौसम पूर्वानुमान, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन और कृषि संबंधी डेटा इकट्ठा करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था। इस सैटेलाइट के जरिए उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें ली जा सकती थीं, जो जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, जलस्रोतों की निगरानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मदद करती।
ISRO की प्रतिक्रिया
ISRO ने लॉन्च के बाद एक आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि प्रारंभिक चरण सफल रहे, लेकिन अंतिम स्टेज में टेक्निकल इश्यू के कारण मिशन विफल हो गया। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि फेल्योर की जांच की जाएगी और भविष्य के मिशनों के लिए सीख ली जाएगी।
क्या है आगे की रणनीति?
यह मिशन भले ही असफल रहा हो, लेकिन ISRO ने बीते वर्षों में कई सफल लॉन्च किए हैं। EOS-09 की असफलता से सबक लेते हुए ISRO आने वाले महीनों में EOS-10 और Gaganyaan मिशन की तैयारी पर फोकस करेगा।
ISRO की यह असफलता निश्चित रूप से चिंताजनक है, लेकिन इसे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में रुकावट नहीं माना जाना चाहिए। वैज्ञानिकों की टीम तकनीकी त्रुटि की जांच में जुटी है और उम्मीद है कि आने वाले मिशन अधिक सुरक्षित और सफल होंगे।