आज संसद पर हुए आतंकी हमले की 24वीं बरसी के मौके पर देश ने अपने वीर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों ने संसद परिसर में श्रद्धांजलि सभा में भाग लेकर शहीदों के बलिदान को नमन किया। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर देश की एकजुटता और सतर्कता का संदेश दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद जवानों को याद करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सुरक्षाकर्मी भारत की असली ताकत हैं। उन्होंने कहा कि संसद पर हुआ हमला लोकतंत्र पर सीधा प्रहार था, लेकिन सुरक्षाबलों की बहादुरी ने आतंकी मंसूबों को नाकाम कर दिया। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि देश आज भी अपने वीरों के त्याग को कभी नहीं भूलेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि संसद हमला भारत की संप्रभुता पर गंभीर चुनौती था, जिसका सुरक्षाबलों ने अदम्य साहस से सामना किया। शाह ने कहा कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अडिग है और देश की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी शहीदों को नमन करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा में जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों का बलिदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि देश की एकता और लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा के लिए सभी को एकजुट रहना होगा।
इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, पूर्व सांसद और वरिष्ठ अधिकारी भी श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। संसद परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई और उनकी वीरता को याद किया गया।
13 दिसंबर 2001 को हुए संसद हमले में सुरक्षा बलों के कई जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनके साहस और तत्परता के कारण संसद भवन और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बड़ा नुकसान होने से बचा लिया गया। आज, 24 साल बाद भी वह दिन देश को आतंकवाद के खिलाफ सतर्क रहने और अपने सुरक्षाबलों के सम्मान का संकल्प दिलाता है।
बरसी के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए शहीदों को याद किया गया। यह दिन न सिर्फ शोक, बल्कि देश की एकता, साहस और लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक बनकर सामने आया।