पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर जारी राजनीतिक विवाद के बीच अब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर अपनी सहमति दे दी है। खास बात यह है कि इस प्रतिनिधिमंडल में टीएमसी सांसद और मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी को शामिल किया गया है, जबकि पहले से चर्चा में चल रहे यूसुफ पठान को इस दल से बाहर कर दिया गया है।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में कथित तौर पर चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों और देशविरोधी गतिविधियों की जांच को लेकर विभिन्न दलों ने दौरे की मांग की थी। शुरुआत में राज्य सरकार की ओर से इस पर असहमति जताई गई थी, लेकिन बढ़ते दबाव और विपक्ष के आक्रामक रुख के चलते ममता सरकार ने अब रज़ामंदी दे दी है।
अभिषेक बनर्जी को दी गई जिम्मेदारी
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई अब अभिषेक बनर्जी करेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ममता बनर्जी ने यह फैसला रणनीतिक रूप से लिया है ताकि पार्टी की केंद्रीय राजनीति में अभिषेक की भूमिका को और सशक्त किया जा सके। वहीं, यूसुफ पठान की अनुपस्थिति को लेकर पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह बदलाव आंतरिक समीक्षाओं का नतीजा है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही सवाल भी खड़े किए हैं। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि, "अगर सरकार को कुछ छिपाना नहीं है तो प्रतिनिधिमंडल को स्वतंत्र रूप से अपनी जांच करने दी जाए।" वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि यह दौरा सिर्फ एक राजनीतिक नाटक न होकर सच्चाई सामने लाने का प्रयास होगा।"
प्रतिनिधिमंडल आगामी सप्ताह में प्रभावित इलाकों का दौरा करेगा और अपनी रिपोर्ट विधानसभा और केंद्र को सौंपेगा। इससे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सच्चाई पर से पर्दा उठने की उम्मीद जताई जा रही है।