यरुशलम/नई दिल्ली, 23 मई 2025 — गाज़ा पट्टी में लगातार बढ़ रही हिंसा और मानवीय संकट को देखते हुए दुनिया भर के 17 देशों ने एकजुट होकर इज़रायल के रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संयुक्त बयान जारी कर इन देशों ने गाज़ा में नागरिकों की मौत, अस्पतालों पर हमलों और बुनियादी सुविधाओं की कमी पर गहरी चिंता जताई है।
इन देशों ने इज़रायल से तुरंत संघर्षविराम लागू करने और मानवीय सहायता के लिए रास्ता खोलने की मांग की है। साथ ही, गाज़ा में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में राहत कार्य तेज़ करने पर भी ज़ोर दिया गया है। इस संयुक्त कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है कि अब इज़रायल पर वैश्विक दबाव बढ़ता जा रहा है।
किन देशों ने उठाए कदम
इस साझा वक्तव्य में फ्रांस, आयरलैंड, स्पेन, नॉर्वे, बेल्जियम, ब्राज़ील, तुर्की, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली, जॉर्डन, कतर, मिस्र, मैक्सिको, थाईलैंड और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं। कई देशों ने इज़रायल के राजदूतों को तलब कर औपचारिक आपत्ति भी दर्ज कराई है।
दबाव की नई रणनीति
स्पेन और आयरलैंड ने स्पष्ट किया है कि यदि इज़रायल युद्धविराम और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाता है, तो वे फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की प्रक्रिया को तेज़ करेंगे। इसके अतिरिक्त, कुछ यूरोपीय देशों ने हथियार निर्यात प्रतिबंध और आर्थिक प्रतिबंधों की संभावनाएं भी जताई हैं।
भारत की भूमिका पर निगाहें
हालांकि भारत ने इस मसले पर अभी तक कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वैश्विक समीकरणों को देखते हुए भारत पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने का दबाव बढ़ सकता है। भारत ने अब तक दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत से समाधान निकालने की अपील की है।
मानवीय संकट गहराता जा रहा
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, गाज़ा में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। सैकड़ों स्कूल, अस्पताल और बिजली-पानी की आपूर्ति प्रभावित है। हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं और खाद्य सामग्री की भारी किल्लत है।