वॉशिंगटन/मॉस्को।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में है। इस बार वजह बनी है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हुई एक घंटे लंबी फोन बातचीत, जिसमें यूक्रेनी ड्रोन हमलों और रूस की संभावित प्रतिक्रिया पर चर्चा हुई। ट्रंप ने दावा किया कि पुतिन इस बार कड़ा पलटवार करने के मूड में हैं और फिलहाल शांति की कोई संभावना नहीं दिख रही।
अमेरिकी मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने बताया कि यूक्रेनी ड्रोन हमले अब रूस की सीमाओं के भीतर तक पहुंच चुके हैं, जिससे मास्को में चिंता और आक्रोश दोनों बढ़ गया है। उन्होंने कहा, “पुतिन अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने बहुत साफ शब्दों में कहा कि रूस जल्द ही जवाबी कार्रवाई करेगा और यह काफी सख्त हो सकती है।”
ट्रंप ने इस बातचीत को "सीधी, स्पष्ट और संवेदनशील" बताया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि दोनों नेताओं के बीच भले ही राजनयिक औपचारिकता बनी रही हो, लेकिन युद्ध को लेकर गंभीर मतभेद और तनाव स्पष्ट थे। ट्रंप ने कहा कि पुतिन युद्धविराम की बातों से अब थक चुके हैं और उन्हें लगता है कि कूटनीतिक प्रयास विफल हो चुके हैं।
इस बातचीत के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या रूस यूक्रेन के भीतर ही नहीं, बल्कि नाटो समर्थित आपूर्ति लाइनों को भी निशाना बना सकता है। हालांकि क्रेमलिन की ओर से अब तक ट्रंप के बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर वे 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फिर से सत्ता में आते हैं, तो वे इस युद्ध को 24 घंटे के भीतर रोकने की रणनीति बनाएंगे। उन्होंने दावा किया कि उनके रहते हुए कभी भी रूस-यूक्रेन युद्ध की नौबत नहीं आती।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह बातचीत और सार्वजनिक बयानबाजी अमेरिका की मौजूदा विदेश नीति से मेल नहीं खाती, लेकिन यह रूसी नेतृत्व के साथ उनके पुराने संबंधों को जरूर उजागर करती है। अमेरिका में कुछ आलोचकों ने ट्रंप की इस बातचीत को नाजायज़ राजनयिक हस्तक्षेप बताया है।जहां एक ओर यूक्रेनी ड्रोन हमले रूस के भीतर खतरा पैदा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ट्रंप-पुतिन की इस बातचीत ने वैश्विक राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। रूस की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि शांति की उम्मीदें अभी दूर हैं।