भारत में आधुनिक तकनीक और पारंपरिक साधनों के मेल से एक अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार सामने आया है—चिनाब रेल पुल। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित यह पुल, न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज है। यह चिनाब नदी के ऊपर 359 मीटर (करीब 1,178 फीट) की ऊँचाई पर बना है, जो पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर से भी ऊँचा है।
इस पुल का निर्माण बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण था, विशेष रूप से उस क्षेत्र की भूगोलिक परिस्थितियों और परिवहन संसाधनों की सीमाओं को देखते हुए। आश्चर्यजनक रूप से, भारी मशीनों और वाहनों की पहुंच संभव न होने के कारण घोड़े और खच्चरों का सहारा लिया गया। इन्हीं जानवरों की मदद से आवश्यक उपकरण, निर्माण सामग्री और अन्य संसाधनों को पहाड़ियों और घाटियों के पार ले जाया गया। इस प्राचीन पद्धति ने आधुनिक इंजीनियरिंग को नई राह दी।
पुल की कुल लंबाई लगभग 1.3 किलोमीटर है और इसका निर्माण भारतीय रेलवे के कोंकण रेलवे और अफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर की देखरेख में हुआ। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट (USBRL) का हिस्सा है, जो जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निर्माण के दौरान सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। पुल को भूकंप, तेज़ हवाओं और अत्यधिक तापमान जैसे कठिन हालातों को सहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। खास बात यह है कि पुल के आर्च को 2022 में जोड़ा गया था, और 2024 में इसका ट्रायल रन भी सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
चिनाब पुल न केवल एक बुनियादी ढाँचा है, बल्कि यह भारतीय इंजीनियरों की संकल्पशक्ति और नवाचार की मिसाल है। यह पुल स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार का जरिया बना और इसने इस दूरदराज़ क्षेत्र की कनेक्टिविटी को नया आयाम दिया।
यह आश्चर्यजनक लेकिन सच है कि दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे पुल आधुनिक तकनीक के साथ-साथ पारंपरिक साधनों—जैसे घोड़े और खच्चरों—की मदद से अस्तित्व में आया। यह न सिर्फ तकनीकी बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत की विविधता और सशक्तता को दर्शाता है।